वोडाफोन टैक्स विवाद फैसले को भारत ने सिंगापुर की अदालत में दी चुनौती
वोडाफोन टैक्स विवाद मामले में भारत ने सिंगापुर की अंतरराष्ट्रीय अदालत में फैसले को चुनौती दी है। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। वोडाफोन पर करीब 22,100 अरब डॉलर के टैक्स क्लेम का मामले पर सरकार ने कानूनी मदद ली है। यह खबर तब सामने आई है जब सरकार द्वारा सितंबर में वोडाफोन के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामले में 2 अरब डॉलर के पूर्वव्यापी कर विवाद में हार हुई थी। 25 सितंबर को नीदरलैंड के हॉग के परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि भारत सरकार जो टैक्स की मांग कर रही है वह देश के इंटरनेशनल लॉ ऑब्लिगेशन के खिलाफ है।
ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा था कि सरकार को वोडाफोन से बकाया नहीं मांगना चाहिए और कंपनी को उसकी कानूनी लागतों के आंशिक मुआवजे के रूप में 40 करोड़ से अधिक का भुगतान करना चाहिए।इस कर विवाद में 12,000 करोड़ का ब्याज और 7,900 करोड़ का जुर्माना शामिल है। वोडाफोन ने 2007 में हॉन्गकॉन्ग के हचिसन ग्रुप के मालिक हचिसन हामपोआ (Hutchison Whampoa) के मोबाइल बिजनेस हचिसन-एस्सार में 67 फीसदी हिस्सेदारी 11 अरब डॉलर में खरीदी थी। वोडाफोन ने यह हिस्सेसदारी नीदरलैंड और केमैन आईलैंड स्थित अपनी कंपनियों के जरिए ली थी। सरकार ने कहा कि वोडाफोन अधिग्रहण पर कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी था।
2012 में भारत की शीर्ष अदालत ने दूरसंचार कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन सरकार ने उस वर्ष बाद में नियमों में बदलाव कर दिया था। अप्रैल 2014 में वोडाफोन ने भारत के खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की। भारत केयर्न एनर्जी सहित एक दर्जन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ मध्यस्थता मामलों में उलझा हुआ है। मालूम हो कि सितंबर 2020 में वोडाफोन ने इनकम टैक्स विभाग के खिलाफ 22,000 करोड़ रुपए का रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का केस जीत लिया था।