1-2 नहीं, 7 तरीके से हो सकता है प्यार
साउथ यूनिवर्सिटी में छपी खबर के मुताबिक, प्यार एक कॉम्प्लेक्स इमोशन है जिसकी कई पहलुएं हो सकती हैं. आमतौर पर प्यार के 3 घटक होते हैं, पहला है इंटीमेसी यानी अंतरंगता, दूसरा है पैशन यानी कि जुनून और तीसरा है कमिटमेंट यानी कि उसके प्रति प्रतिबद्धता. ये बात मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट स्टर्नबर्ग(psychologist Robert Sternberg) ने अपने कॉन्सेप्ट ऑफ लव थ्योरी(concept of love theory.) में बताया था जिसे स्टर्नबर्ग थ्योरी(Sternberg’s theory) भी कहा जाता है. I
वेरीवेलमाइंड के मुुुुुुुताबिक,साइकोलॉजी में यह माना गया कि इन 3 कॉम्पोनेंट के जोड़ घटाव से इंसान 7 तरह के प्यार को अनुभव कर सकता है. जिसमें पहला तरीका होता है दोस्ती (friendship) का. ऐसा रिश्ता जिसमें दो लोग एक दूसरे को बहुत पसंद करते हैं, लेकिन उनके बीच रोमांटिक सेंस नहीं होता.
दूसरा तरीका है इनफैचुएशन(infatuation) का जिसमें दो लोगों के बीच आत्म संबंध से अधिक फिजिकल पैशन होता है. ऐसे रिश्ते में कमिटमेंटं नहीं होता और ना ही उनके बीच रोमांटिक लव जैसा कुछ होता है. तीसरे प्यार का तरीका कमिटमेंट से जुड़ा है जिसे इंप्टी लव (empty love) कहा जाता है. इसमें ना तो पैशन होता है और ना ही अंतरंगता.
यार का चौथा तरीका है रोमांटिक लव (romantic love) का, जिसमें अंतरंगता भी होता है और दो लोगों के बीच एक दूसरे के लिए पैशन भी.ऐसे रिश्ते में पार्टनर एक दूसरे के साथ काफी बात करते हैं और उनकी बातों में जज़बात भी होता है.
फिर नंबर आता है कॉम्पैनिएनेट लव(companionate love) का,यह रिश्ता दोस्ती से अधिक गहरा होता है लेकिन इसमें फिजिकल डिजायर जैसी बात नहीं होती. ऐसे रिश्ते में कपल लंबे समय से एक दूसरे के साथ रहता है और धीरे धीरे दोस्ती प्यार में बदल
इस तरह प्यार का सबसे अंतिम टाइप है कंजमेट लव (consummate love), जिसमें कपल के बीच कमिटमेंट होता है, अंतरंगता होती है और पैशन भी होता है. इसे एक आइडियल लव माना जाता है और ऐसा रिश्ता जन्मोजन्म तक चलता है. ऐसे कपल, एक दूसरे के जीवन का हिस्सा बन जाते हैं, वे सुख दुख में साथ रहना चाहते हैं और दूसरे का दुख उनसे बर्दाश्त नहीं होता है.