सेना में सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने की तैयारी, समय से पहले रिटायरमेंट लेने पर पेंशन में कटौती का प्रस्ताव
सेना में अफसरों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने का प्रस्ताव है। डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) की तरफ से शुरू किए गए सुधारों के तहत समय से पूर्व रिटायरमेंट लेने पर पेंशन में कटौती का भी प्रस्ताव किया गया है। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में डीएमए काम करता है।
कर्नल और उसके समकक्ष अधिकारी 57 साल की उम्र तक कर सकेंगे काम
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सशस्त्र बलों में सैन्यकर्मियों के अत्यधिक उपयोग के लिए ये सभी प्रस्ताव पेश किए गए हैं। इसके तहत सेना में कर्नल और वायु सेना और नौसेना में इनके समकक्ष अधिकारियों की उम्र 54 से बढ़ाकर 57 साल करने का प्रस्ताव किया गया है।
ब्रिगेडियर और इनके समकक्ष अधिकारियों की उम्र 56 साल से बढ़ाकर 58 साल होगी
ब्रिगेडियर और इनके समकक्ष अधिकारियों की उम्र 56 साल से बढ़ाकर 58 साल करने, मेजर जनरल और इनके समकक्ष अधिकारियों की उम्र 58 से बढ़ाकर 59 साल करने का प्रस्ताव रखा गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल रैंक और इनके समकक्ष अधिकारियों की सेवानिवृत्त आयु में कोई बदलाव नहीं
लेफ्टिनेंट जनरल रैंक और इनके समकक्ष अधिकारियों की सेवानिवृत्त आयु में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यह पहले की तरह ही 60 साल ही बनी रहेगी।
लॉजिस्टिक, टेक्निकल और मेडिकल कोर में जेसीओ और जवानों की रियाटरमेंट की उम्र 57 साल होगी
लॉजिस्टिक, टेक्निकल और मेडिकल कोर में जूनियर कमिशंड ऑफिसर (जेसीओ) और जवानों की रियाटरमेंट की उम्र 57 साल करने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें थल सेना की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कोर (एएससी) और (आर्मी ऑर्डिनेंस कोर) एओसी इकाइयां भी शामिल होंगी।
समय से पहले रिटायरमेंट लेने पर पेंशन में कटौती का प्रस्ताव
सेना में अधिकारियों को बनाए रखने के लिए समय से पहले रिटायरमेंट पर पेंशन में कटौती का प्रस्ताव किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि 20 से 25 साल की सर्विस में 50 पर्सेंट पेंशन, 26 से 30 साल की सर्विस में 60 पर्सेंट, 31 से 35 साल की सर्विस में 75 पर्सेंट और 35 साल से ज्यादा की सर्विस में पूरी पेंशन दी जाएगी।
सेना में अच्छे अफसरों की नहीं होगी कमी, प्रस्ताव जल्द लागू करने की योजना
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि शीर्ष पदों पर कम वेकेंसी होने की वजह से कई अधिकारी सेना छोड़ देते हैं। वहीं कई स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट, जो अत्यधिक कुशल कार्यो के लिए प्रशिक्षित होते हैं, वो दूसरे सेक्टर में काम करने के लिए नौकरी छोड़ देते हैं। इससे सेना में अच्छे अफसरों की कमी हो जाती है, जो उसके लिए बेहतर नहीं है। व्यापक विचार-विमर्श और चर्चा के बाद इन प्रस्तावों को जल्द से जल्द लागू करने की योजना भी है।