केंद्र के प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने मांगा स्पष्टीकरण, जानें कहां फंसा है पेंच
तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद आंदोलन पर डटे किसान संगठनों को पत्र लिखकर केंद्र सरकार ने फिर घर लौटने की अपील की है और विस्तार से बताया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी] पर चर्चा के लिए प्रस्तावित समिति में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सदस्य भी होंगे। पराली के मुद्दे पर किसानों को पहले ही राहत दे दी गई है। आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर भी राज्य सरकारें सहमत हैं, जबकि विद्युत संशोधन विधेयक चर्चा के बाद ही संसद में पेश होगा, लेकिन एसकेएम को एमएसपी समिति और मुकदमा वापसी की भाषा पर संदेह है, जिस पर उसने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। बुधवार को दोपहर दो बजे एसकेएम फिर बैठक कर करेगा। आसार हैं कि अब आंदोलन खत्म हो सकता है।
केंद्र सरकार ने मानी मांगें
दिल्ली की सीमा पर पिछले एक साल से मोर्चा जमाए आंदोलनकारी किसान संगठनों की बाकी बची मांगों को भी केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्वीकार कर लिया है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद एसकेएम ने कुंडली बार्डर पर बैठक की और मांगेंमान लिए जाने पर खुशी जाहिर की, लेकिन सरकार के प्रस्ताव में कुछ खामियां भी बताईं। खासतौर पर एमएसपी पर प्रस्तावित समिति में शामिल होने वाले सदस्यों को लेकर उन्हें आपत्ति है।
सरकार से चाहिए स्पष्टीकरण
पत्रकारों से बातचीत में एसकेएम के वरिष्ठ नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि एमएसपी पर पहले प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषिष मंत्री ने भी एक समिति बनाने की घोषषणा की है। इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषिष विज्ञानियों के शामिल होने की बात कही गई है। मोर्चा चाहता है कि स्पष्ट किया जाए कि किसान प्रतिनिधियों में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल हों और समिति में शामिल लोगों के नाम स्पष्ट किए जाएं। ऐसे लोग समिति में नहीं होने चाहिए, जो सरकार के साथ कानून बनाने में भी शामिल रहे थे। उम्मीद जताई कि बुधवार तक सरकार की ओर से इसे भी स्पष्ट कर दिया जाएगा।
ठोस आश्वासन की मांग
अधिकतर किसान संगठन सरकार के प्रस्ताव पर सहमत थे, लेकिन मुकदमा वापसी के लिए आंदोलन समाप्त करने की शर्त पर वे एक राय नहीं हुए। इसके लिए एसकेएम ने सरकार से ठोस आश्वासन और प्रस्ताव में कुछ संशोधन की मांग रखी है। सरकार के प्रतिनिधियों ने कुंडली बार्डर पर एसकेएम की तरफ से नामित समिति के सभी पांच सदस्यों के साथ गुप्त बैठक की। बाद में इन सदस्यों ने सरकार के प्रस्ताव एसकेएम की बैठक में रखे। कुछ बिदुओं पर सरकार से बुधवार तक स्पष्टीकरण मांगा गया है। बलबीर सिह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए जो शर्त रखी है, वह हमें मंजूर नहीं है। किसान नेता अशोक धावले ने कहा कि देश भर में हजारों मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इसके लिए कोई समय-सीमा होनी चाहिए। वहीं, गुरनाम चढूनी ने कहा कि किसानों को संदेह है कि सरकार कहीं बात से पलट न जाए। जबकि एक अन्य किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ बिंदु बहुत स्पष्ट नहीं हैं।
हरियाणा के किसान संगठनों का तर्क
आंदोलन में शामिल हरियाणा के किसान संगठनों ने कहा कि अगर बिना मुकदमा वापसी के आंदोलन खत्म करने का एलान किया तो वे जाट आंदोलन की तरह फंस जाएंगे। जाट आंदोलन खत्म होने के बाद भी लोग पर मुकदमे चल रहे हैं। एसकेएम ने निर्णय लिया कि शर्त के साथ आंदोलन समाप्त नहीं किया जाएगा।
यहां फंस गया पेंच
1-दर्ज मुकदमों की वापसी
सरकार का पक्ष– आंदोलन वापस लेने के साथ किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
एसकेएम की मांग- पहले सरकार आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस ले।
2-एमएसपी पर समिति
सरकार का पक्ष– समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषिष विज्ञानी शामिल होंगे।
एसकेएम की मांग– स्पष्ट हो कि किसान प्रतिनिधियों में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। ऐसे लोग कमेटी में न हों, जो सरकार के साथ कानून बनाने में शामिल रहे थे।
3-मृतकों को मुआवजा
सरकार का पक्ष– -आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के स्वजन को मुआवजे पर हरियाणा और उप्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दी है।
एसकेएम की मांग -मोर्चा पंजाब की तर्ज पर आंदोलन में जान गंवाने वालों के स्वजन को मुआवजे मांग कर रहा है।
4-विद्युत संशोधन विधेयक-2020
सरकार का पक्ष -विद्युत संशोधन विधेयक–2020 को संसद में पेश करने से पहले सभी हितधारकों से विमर्श किया जाएगा।
एसकेएम की मांग -इस विधेयक को संसद में पेश न किया जाए।
5- पराली का मुद्दा
सरकार का पक्ष– पारित कानून की धारा–14 व 15 में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी गई है।
एसकेएम की मांग – पराली पर पारित कानून की धारा-15 को समाप्त किया जाए।