23 November, 2024 (Saturday)

कब है वैशाख पूर्णिमा? सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी पूजा

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वैशाख पूर्णिमा होती है. उस दिन वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखते हैं, स्नान और दान किया जाता है. वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर लोग अपने घरों पर सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करते हैं और पूजा पाठ करते हैं. इस बार की वैशाख पूर्णिमा व्रत और स्नान दान एक ही दिन है. वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान ​बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि वैशाख पूर्णिमा कब है? वैशाख पूर्णिमा का व्रत और स्नान दान किस दिन होगा? पूजा का मुहूर्त क्या है?

कब है वैशाख पूर्णिमा 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 22 मई बुधवार के दिन शाम को 06 बजकर 47 मिनट पर वैशाख पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 23 मई गुरुवार को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा. ऐसे में वैशाख पूर्णिमा 23 मई को है. उस दिन ही वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा और स्नान-दान भी होगा.

वैशाख पूर्णिमा 2024 मुहूर्त
23 मई को वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा का मुहूर्त सुबह सवा 9 बजे से है क्योंकि उस समय से सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें आप जो भी कार्य करेंगे, उसके फलित होने की पूरी उम्मीद है. यह योग सभी शुभ कार्यों को सिद्ध करने के​ लिए माना जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन का शुभ समय या अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 एएम से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है.

वैशाख पूर्णिमा 2024 स्नान-दान समय
वैशाख पूर्णिमा वाले दिन स्नान और दान का समय ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाता है. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:04 एएम से 04:45 एएम तक है. इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान करने से पुण्य लाभ होता है.

वैशाख पूर्णिमा 2024 चंद्रोदय समय
वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय शाम को 07 बजकर 12 मिनट पर होगा. जो लोग व्रत रखेंगे, वे चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करेंगे और अर्घ्य देंगे. उसके बाद व्रत को पूरा करेंगे.

सर्वार्थ सिद्धि योग में वैशाख पूर्णिमा 2024
इस बार की वैशाख पूर्णिमा सर्वार्थ सिद्धि योग में है. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 09:15 एएम से अलगे दिन 24 मई को सुबह 05:26 एएम तक है. उस दिन परिघ योग सुबह से दोपहर 12:12 पीएम तक है और उसके बाद से शिव योग है.

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