कर्फ्यू के बीच पुरी-अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू, अमित शाह ने की आरती
नई दिल्ली: भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आज से शुरू हो गई है। जगन्नाथ पुरी और अहमदाबाद दोनों जगहों पर यात्रा निकाली जा रही है। कोरोना महामारी में ये दूसरी बार है जब श्रद्धालुओं की मौजूदगी के बिना भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जा रही है। इस मौके पर उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता था लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक के तीन किलोमीटर यात्रा मार्ग पर कर्फ्यू लागू है।
गुजरात के अहमदाबाद शहर में भी भगवान जगन्नाथ की 144वीं रथयात्रा आज सुबह शुरू हो गई। हालांकि कोविड-19 के मद्देनजर लोगों को इसमें भाग लेने से रोकने के लिए यात्रा के मार्ग में लगाए गए कर्फ्यू के कारण इस बार की रथयात्रा को लेकर उत्सव की उमंग और भीड़ नदारद है। लगभग 100 ट्रकों, हाथियों, अखाड़ों और गायन मंडलियों के सामान्य काफिले के बजाय इस साल की यात्रा में केवल तीन रथ शामिल हैं, जिन्हें खलासी समुदाय के लगभग 100 युवा खींच रहे हैं। इसके अलावा चार से पांच अन्य वाहन शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर देशवासियों को बधाई दी है। पीएम मोदी ने लिखा है, ”रथ यात्रा के विशेष अवसर पर सभी को बधाई। हम भगवान जगन्नाथ को नमन करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनका आशीर्वाद सभी के जीवन में अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि लाए। जय जगन्नाथ!”
अमित शाह ने ‘मंगला आरती’ में भाग लिया
देवी-देवताओं की मूर्तियों को रथों पर रखने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुबह लगभग चार बजे मंदिर में दर्शन किया और ‘मंगला आरती’ में भाग लिया। अमित शाह अपने परिवार के साथ भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेने आए। शाह लगभग हर साल इस यात्रा के समारोह में शरीक होते हैं।
गुजरात के गृह मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने पत्रकारों को बताया कि देवी-देवताओं के दर्शन की खातिर सड़कों पर लोगों की भीड़ जुटने से रोकने के लिए रथयात्रा के पूरे 19 किलोमीटर के मार्ग पर सुबह से दोपहर तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों की यात्रा यहां जमालपुर क्षेत्र में स्थित 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से सुबह करीब सात बजे गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल द्वारा ‘पाहिंद विधि’ संपन्न करने के साथ शुरू हुई। यह विधि ‘‘रथों’’ का रास्ता साफ करने की प्रतीकात्मक रस्म है।
शहर पुलिस के अनुसार, रथ यात्रा कुछ सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से भी गुजरती है इसलिए किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए मार्ग पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की नौ कंपनियों सहित लगभग 23,000 सशस्त्र कर्मियों को तैनात किया गया है। हर साल रथयात्रा लगभग 12 घंटे में 19 किमी की दूरी तय कर भगवान जगन्नाथ मंदिर वापस पहुंचती है, जिसमें सरसपुर में एक घंटे का भोजन अवकाश भी शामिल है। हालांकि इस बार अधिकारियों ने सुनिश्चित किया है कि सरसपुर में बड़ी भीड़ जमा नहीं हो।