21 November, 2024 (Thursday)

परशुराम जयंती 2021: जानें भगवान के इस नाम का अर्थ और पूजा विधि

हिन्दू धर्म में वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि का बड़ा महत्व है। इसे अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। विवाह से लेकर मकान बनाना या अन्य किसी भी कार्य के लिए यह सबसे शुभ दिन होता है। वहीं तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है।

इस साल यह पर्व 14 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा। माना जाता है कि भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं, जिन्होंने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया था। परशुरामजी का उल्लेख रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण इत्यादि अनेक ग्रन्थों में किया गया है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगी यह तिथि साथ ही जानते हैं भगवान परशुराम से जुड़ी खास बातें…

तृतीय तिथि आरंभ और समापन समय
तृतीया तिथि आरंभ: 14 मई 2021, शुक्रवार सुबह 05 बजकर 40 मिनट से
तृतीया तिथि समापन: 15 मई 2021, शनिवार सुबह 08 बजे तक

नहीं होंगे सार्वजनिक कार्यक्रम
वैसे तो हर वर्ष भगवान परशुराम की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है और इस दौरान कई सारे आयोजन भी होते हैं। लेकिन इस वर्ष भी बीते वर्ष की तरह कोरोनावायरस का खतरा है। कई शहरों में लॉकडाउन भी लगा हुआ है, ऐसे में सार्वजनिक स्थलों पर होने वाले धार्मिक आयोजन नहीं होंगे और यह पर्व भी घरों में रहकर ही मनाया जाएगा।

जानें परशुराम नाम का मतलब
परशुराम का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है। परशु का मतलब है कुल्हाड़ी और राम, अर्थात कुल्हाड़ी के साथ राम। जैसे राम भगवान विष्णु के अवतार है, वैसे ही परशुराम भी भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हीं की तरह ही शक्तिशाली भी हैं। परशुराम को अनेक नामों जैसे रामभद्र, भृगुपति, भृगुवंशी आदि से जाना जाता है। परशुराम महर्षि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका के पांचवे पुत्र थे।

पूजा-विधि
– इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें।
– इसके बाद धूप दीप जलाकर व्रत करने का संकल्प लें।
– पूजा में भगवान विष्णु एवं पशुराम जी को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल चढ़ाएं।
– इसके बाद भगवान को भोग लगाएं।
– इस दिन के उपवास में केवल दूध का ही सेवन करना चाहिए।
– आप चाहें तो परशुराम जी के मंदिर जाकर उनके दर्शन भी कर सकते हैं।
– मंदिर जाना संभव नहीं हो तो घर में ही पूजन करउन्हें मन में ही याद करें।

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