25 November, 2024 (Monday)

प्राकृतिक खेती से तैयार गन्ने से बना रहे गुड़, देश भर में लोकप्रिय

जैविक खेती की ओर किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। पश्चिम उप्र में तो प्राकृतिक तरीके से गन्ना भी उगाया जा रहा है। इस जैविक गन्ने से तैयार गुड़ देश भर में लोकप्रिय है। बुलंदशहर के प्रगतिशील किसान संजीव कुमार तो अपना गुड़ 100 रुपए प्रति किलो तक बेच रहे हैं। उनके बनाए गुड़ ही मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

 

पश्चिमी उप्र में प्राकृतिक खेती का चलन बढ़ रहा है। पिछले वर्ष जैविक तरीके से खेती करने पर बुलंदशहर के स्याना के प्रगतिशील किसान भारत भूषण त्यागी को केंद्र सरकार ने ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था। अब उनके पास प्राकृतिक खेती के तरीके सीखने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनमें युवा किसानों की संख्या अधिक है। भारत भूषण बताते हैं कि प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है और वे परंपरागत तरीके से खेती छोड़कर हानिरहित तरीकों से खेती कर रहे हैं।

 

गोमूत्र से बनाए जीव अमृत का उपयोग

 

ऐसे ही प्रगतिशील किसान बुलंदशहर के निसुर्खा गांव के संजीव कुमार है, जो दस साल से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। संजीव बताते हैं कि दस साल से साढ़े तीन एकड़ क्षेत्रफल में सुभाष पालेचर नेचुरल फार्मिंग कर रहे हैं। इसमें वे गाय के गोमूत्र से जीव अमृत बनाकर खेत में उपयोग कर रहे हैं। इस तरीके से वे गन्ने पैदा करते हैं। सहफसली प्रणाली के तहत गन्ने के साथ हल्दी, दलहन की भी खेती की जा रही है। स्वदेशी तरीके से खेती करने से देश को भी फायदा हो रहा है।

 

खुद ही तैयार कर रहे गुड़, शक्कर

 

संजीव बताते हैं कि जैविक तरीके से उगाए गन्ने से वह खुद ही गुड़, शक्कर, राब तैयार कर रहे हैं। इसमें गुड़ को कई प्रकार से तैयार किया जाता है। चना कोटिड गुड़ उनका लोकप्रिय उत्पाद है। इसमें चने को भूनकर गुड़ बनाया जाता है। इसमें विशेष तरीके का प्रयोग किया जाता है। लोहे की कढ़ाई पर विशेष लेप किया जाता है। इसमें 118 डिग्री सेंटीग्रेट पर गुड़ बनता है। लोहे की हल्की का प्रयोग करके जल्दी इस तापमान पर पहुंच जाते हैं। इसी तरह से लोहे की कढ़ाई को ठंडा भी जल्दी किया जाता है। चिमनी को भी फिल्टर किया जाता है।

 

100 रुपए किलो बिक रहा गुड़

 

किसान संजीव द्वारा तैयार किया गया गुड़ बाजार से दोगुने दाम में बिकता है। इस गुड़ को दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा, चंडीगढ़, जयपुर समेत देश के विभिन्न हिस्सों में बिक्री के लिए भेजा जाता है। इस गुड़ की मांग प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस मांग को वह पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

 

खेत में ही बनाई पोषण वाटिका

 

किसान संजीव ने अपने खेतों में पोषण वाटिका भी बनाई हुई है। इस वाटिका में सभी फलों के पौधे लगाए हुए हैं। मनुष्य को पोषण देने वाले सभी फल उनकी वाटिका में आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही गरीबों की सहायता के लिए भी उन्होंने चौपाल फाउंडेशन बनाया हुआ है। इसके लिए किसानों की सहायता के लिए चौपाल भी लगाई जाती है। किसानों को जैविक खेती के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

 

केंद्र और राज्य सरकार की सराहना

 

संजीव कुमार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों ही सरकार पूरी तरह से स्वदेशी खेती को बढ़ावा दे रही है। इसका भारत के किसानों और देश को सीधा फायदा मिलेगा।

 

उप्र के दूसरे जिलों में भी हो रही खेती

 

बुलंदशहर के साथ ही उप्र के मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़ जिलों में प्राकृतिक तरीके से खेती की जा रही है। बागपत जनपद के रावण उर्फ बड़ागांव में रिटायर्ड कर्नल नरेंद्र त्यागी ने अपना जैविक फार्म हाउस बनाया है, जिसमें प्राकृतिक तरीके से खेती की जा रही है। मेरठ जनपद के पूठी गांव निवासी रमन त्यागी भी जैविक तरीके से खेती कर रहे हैं। मेरठ के किसान राजेश शर्मा भी जैविक तरीके से तैयार गुड़ को सप्लाई कर रहे हैं।

 

उप्र में बढ़ रहा प्राकृतिक खेती का क्षेत्रफल

 

प्रदेश सरकार किसानों को लगातार जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रही है। उप्र में जैविक खेती को बढ़ाया दिया जा रहा है। इससे खेती की लागत तो कम होगी ही, साथ ही पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी। 02 साल में सरकार द्वारा 02 लाख 25 हजार 691 किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा जैविक खेती का प्रदर्शन कराया जा रहा है। प्रदेश सरकार जैविक खाद की खरीद पर किसानों को अनुदान दे रही है। केंद्र सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना, नमामि गंगे योजना के तहत क्लस्टर बनाकर जैविक खेती कराई जा रही है। इस योजना में पश्चिम उप्र के मेरठ, हापुड़, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, संभल, कानपुर नगर, रायबरेली, फतेहपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, मीरजापुर, वाराणसी, चंदौली, भदोही में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

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