भारतीय टीम को क्यों मिलती है ऑस्ट्रेलिया में सफलता, रवि शास्त्री के पास है जीत का मंत्र
Ind vs Aus: भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज, कप्तान और अब मुख्य कोच के तौर पर काम रहे रवि शास्त्री का ऑस्ट्रेलिया दौरा हमेशा से ही बेहद शानदार रहा है। पिछले 35 वर्षों में, वे बतौर खिलाड़ी, बतौर कप्तान या फिर बतौर कोच जैसे भी ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर रहे हैं, भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया है। शास्त्री 1985 में वर्ल्ड सीरीज कप में मैन ऑफ द सीरीज रहे थे। 1992 के विश्व कप में उनकी धीमी बल्लेबाजी के लिए उनकी आलोचना हुई, लेकिन अब वह बतौर कोच 2018-19 और 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में टेस्ट सीरीज में रौंदकर आए हैं।
बतौर कोच साल 2017 में उनकी नियुक्ति हुई थी, लेकिन इससे पहले वह 2014 से 2015 टीम के डायरेक्टर थे। वहीं, जब वह कोच बने थे तो भारत को दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के खिलाफ हार मिली थी और ऐसा माना जा रहा था कि उनका कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया जाएगा, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। भारत ने 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, जहां उनकी कोचिंग भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीती। इसके बाद 2019 विश्व कप में भारत के सेमीफाइनल तक पहुंचने के बाद उनके कार्यकाल को दो और साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया। अब शास्त्री ने बीसीसीआइ के इस फैसले को फिर साबित किया है।
दरअसल, भारतीय टीम के खिलाड़ियों को रवि शास्त्री दोस्त के तौर पर ज्यादा मानते हैं। भारत के कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे, जिन्होंने तीन में से दो टेस्ट मैचों में भारत को जीत दिलाई। उन्होंने भी शास्त्री के योगदान को स्वीकार किया। रहाणे ने चौथे टेस्ट के बाद कहा था, “उनके योगदान का बहुत ज्यादा महत्व रहा है। खासकर जिस तरह से उन्होंने इस सीरीज में ही नहीं, बल्कि 2018-19 में भी सभी को संभाला और समर्थन दिया, जब हमने यहां सीरीज जीती। मैंने निजी तौर पर उनसे बहुत कुछ सीखा है। वह खुद एक कप्तान थे। जिस तरह से उन्होंने टीम का समर्थन किया, उससे मेरा काम आसान हो गया।”
पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर, जो रवि शास्त्री के साथ काफी खेले हैं, उनका मानना है कि भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह जानते हैं कि खिलाड़ियों को कैसे प्रेरित करना है। वेंगसरकर ने न्यूज एजेंसी आइएएनएस से कहा, “शास्त्री की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह हमेशा खिलाड़ियों को प्रेरित करते रहते हैं। इस स्तर पर, हर क्रिकेटर में कौशल होता है। यह है कि आप खिलाड़ियों को मानसिक रूप से तैयार करते हैं और उन्हें सकारात्मक महसूस कराते हैं और इससे फर्क पड़ता है। वह खिलाड़ियों को प्रेरित करते है, उन्हें मानसिक रूप से सकारात्मक रखते हैं।”