मुख्तार अंसारी कैसे करता है अपनी कमाई, यहां पढ़ें पीड़ितों की अनसुनी कहानियां
अतीक अहमद और अशरफ की हुई हत्या के बाद अब एक और बाहुबली नेता का नाम चर्चा में बना हुआ है। पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी इन दिनों खूब चर्चा में बने हुए हैं। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ भी राज्य सरकार अब और सख्ती से एक्शन लेगी। ऐसे में आज हम मुख्तार अंसारी की कहानी नहीं बताने वाले हैं। बल्कि हम उन लोगों की कहानी बताएंगे जो मुख्तार अंसारी के बाहुबल के तहत पीड़ित हैं। कई पीड़ितों की कहानी हम आपको बताने वाले हैं जो कभी न कभी मुख्तार अंसारी के अपराध का सामना कर चुके हैं।
अजय प्रकाश उर्फ मन्ना सिंह की हत्या
भाजपा नेता अशोक सिंह के भाई अजय प्रकाश उर्फ मन्ना सिंह कॉन्ट्रैक्टर थे। मन्ना सिंह की साल 2009 में हत्या कर दी गई थी। अशोक सिंह के मुताबिक ठेकेदारी में मुख्तार अंसारी कमीशन मांगता था। जब मन्ना सिंह ने मना किया तो उसकी हत्या करवा दी गई है। इस हत्या के गवाह राम सिंह मौर्या और एक सुरक्षाकर्मी सतीश सिंह की भी हत्या हो गई। अशोक फिलहाल कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन कोर्ट ने मुख्तार को इस मामले में बरी कर दिया है।
जमीन कब्जाया
मुख्तार अंसारी ने एक समय मऊ के रहने वाले वीर बहादुर सिंह की 4 बीघे की जमीन को जबरन कब्जा कर लिया था। इसके बाद मुख्तार ने इस जमीन को अपनी मां के नाम पर रजिस्ट्री करा ली। इस जमीन की बाजार में आज कीमत 20 करोड़ रुपये के लगभग बताई जाती है। 12 बजे राज रजिस्ट्री ऑफिस खोलकर वीर बहादुर सिंह को जबरन उठाकर ले जाया गया था। इनके कई रिश्तेदारों के साथ ऐसा हुआ है लेकिन कोई इस बारे में बोलना नहीं चाहता।
धमकी देकर वसूली
भाजपा नेता गणेश सिंह के मुताबिक मुख्तार अंसारी साल 2005 में ठेकेदारों को कमीशन के लिए धमकी देता था और कमाई करता था। एक बार मुख्तार के खिलाफ खबर लिखने वाले एक पत्रकार को किडनैप कर लिया गया था। जब मुख्तार मऊ आया था तो सिर्फ एक पुरानी जिप्सी के साथ आया था। लेकिन समय के साथ मुख्तार ने अपना साम्राज्य फैलाया।
छोटे लाल गांधी की कहानी
छोटे लाल गांधी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो मुख्तार के भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ खुलकर अभियान चलाते हैं। बिना डर के वो मुख्तार के खिलाफ बेखौफ बोलते हैं। वो अपने साथ मुख्तार से संबंधित अखबारों में छपे ढेर सारे आर्टिकल्स का कलेक्शन अपने साथ लेकर चलते हैं। मुख्तार के किस्से के बारे में जब वो कचहरी में बोलने लगे तो भारी भीड़ जमा हो गई। लेकिन अतीक अहमद प्रकरण के बाद कुछ लोगों ने मुख्तार के बारे में बोला तो कुछ ने चुप्पी साधे रखा।