दोषी के सुनवाई में देरी कराने के उप्र के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा गृह सविच से जवाब
अपनी पत्नी की हत्या के दोषी एक शख्स द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी अपील पर सुनवाई में देरी कराने के उत्तर प्रदेश सरकार के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य के गृह सचिव से शुक्रवार तक हलफनामा मांगा जिसमें यह जानकारी हो कि दोषी ने कितनी बार कार्यवाही स्थगित कराई है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘कृपया असंभव बयान मत दीजिए। मैं उत्तर प्रदेश में (मामलों की) स्थिति जानता हूं।’ शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी तब आई जब राज्य सरकार की ओर से वकील ने कहा कि पिंटू सैनी नामक शख्स को दोषी करार दिए जाने के खिलाफ उसकी अपील हाई कोर्ट में 2016 से लंबित है और उसके वकील के कहने पर अनेक बार सुनवाई स्थगित हुई है।
पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल रहीं। पीठ ने राज्य के वकील शांतनु सिंह से कहा कि गृह सचिव की ओर से हलफनामा दाखिल कराया जाए। उसने सुनवाई शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध की।
पीठ ने अपने आदेश में इस बात का संज्ञान लिया कि राज्य सरकार के वकील ने कहा है कि याचिकाकर्ता की आपराधिक अपील लंबित रहते हुए उसने कार्यवाही कई बार स्थगित कराई है।
दूसरी तरफ दोषी के वकील ने इस दलील को खारिज करते हुए दावा किया कि हाई कोर्ट में अभी ‘आपराधिक अपील पेपर बुक’ तक तैयार नहीं की गई है।
पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों में, हम यूपी राज्य के गृह सचिव को एक अक्टूबर, 2021 या उससे पहले एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अधिकारी हलफनामा देने में विफल रहते हैं तो वह एक अक्टूबर को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित हों।
शीर्ष अदालत ने यह बताने को कहा है कि उक्त क्रिमिनल अपील कितनी बार हाई कोर्ट के सामने लिस्ट हुई है। कितनी बार याचिकाकर्ता ने मामले में सुनवाई टालने की गुहार लगाई है और कितनी बार मामला सुनवाई के लिए आया है।
सैनी को पत्नी को जलाकर मार डालने के मामले में निचली अदालत ने 2016 में सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने 27 फरवरी, 2018 को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।