25 November, 2024 (Monday)

कल रक्षाबंधन पर बन रहा है गजकेसरी योग, जानें इसका महत्व

भाई – बहन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 22 अगस्त, दिन रविवार को पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल राखी का त्योहार अत्यंत शुभ मुहूर्त,घनिष्ठा नक्षत्र में पड़ रहा है। इसके साथ ही इस दिन शोभन और गजकेसरी योग भी बन रहा है। गज केसरी योग में राखी बंधना अत्यंत शुभ और लाभप्रद माना जाता है। आइए जानते हैं इस साल राखी पर बनने वाले विशेष गज केसरी संयोग और इसके मुहूर्त तथा महत्व के बारे में….

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल राखी या रक्षाबंधन का त्योहार घनिष्ठा नक्षत्र में पड़ रहा है। इस नक्षत्र में पैदा होने वाले भाई-बहन का रिश्ता बहुत मजबूत होता है तथा इस नक्षत्र में राखी बांधने से भाई-बहन के बीच मनमुटाव दूर होते हैं तथा आपस में प्यार बढ़ता है। राखी के दिन धनिष्ठा नक्षत्र शाम को 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके अतिरिक्त इस साल पूर्णिमा तिथि पर भद्रा नहीं लग रहा है इसलिए पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। हालांकि की पूर्णिमा की तिथि पर शाम को 05.14 बजे से 6.49 बजे तक राहु काल रहेगा। राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस समय को छोड़ कर पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी।

राखी पर है गजकेसरी योग

बृहस्पति और चंद्रमा की युति के कारण इस साल राखी पर गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। गज केसरी योग की बहुत ही शुभ माना जाता है। इस साल राखी के दिन बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में वक्री रहेगा तथा चंद्रमा इसके साथ रहने के कारण गजकेसरी योग बन रहा है। इस योग में किए जाने वाले सभी कार्य पूरी तरह सफल सिद्ध होते हैं तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। गज केसरी योग व्यक्ति को राजसी सुख और माना-सम्मान दिलाता है। हालांकि सुबह 10 बजकर 33 मिनट तक शोभन योग रहेगा, इस योग में राखी बांधना शुभ रहेगा। गज केसरी योग में पूरे दिन राखी बांधी जाएगी।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

 

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