बसंत पंचमी पर घर के आंगन में लगा लें ये एक पौधा, मां सरस्वती के साथ मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा
हिंदू धर्म में देवी की विशेष पूजा-आराधना के लिए बसंत पंचमी का पर्व बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। मां सरस्वती को ज्ञान की देवी भी कहा जाता है। इसलिए यह दिन विद्यार्थियों के लिए बहुत खास होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बसंत पंचमी के दिन पौधारोपण करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पौधे लगाने से बुद्धि, विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा घर में सुख-समृद्धि का भी आगमन होता है। तो चलिए जानते हैं इस दिन कौन सा पौधा लगाना चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन लगाएं ये पौधा
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मोरपंखी का पौधा जरूर लगाएं। इस दिन ये पौधा लगाने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। कई जगहों पर मोरपंखी को विद्या का पौधा भी कहा जाता है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थियों को मयूर पंख का पौधा जरूर लगाना चाहिए। ये आपके लिए शुभ साबित हो सकता है। हालांकि लोग घर की शोभा बढ़ाने के लिए इस पौधे को लगाते हैं, लेकिन वास्तु कहता है कि घर में इस पौधे को लगाने से कभी भी पैसों की तंगी नहीं आती है। साथ ही जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।
इस दिशा में लगाएं ये पौधा
मयूर पंख का पौधा लगाते समय सही दिशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। वास्तु के अनुसार, इस पौधे को उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। इस दिशा में यह पौधा लगाने से घर-परिवार में हमेशा खुशी बनी रहेगी। भूलकर भी इस पौधे को दक्षिण दिशा में ना लगाएं।
इन बातों का रखें ध्यान
- वास्तु के अनुसार मोरपंखी का पौधा कभी भी अकेले न लगाएं, इसे हमेशा जोड़े में ही लगाएं। कहा जाता है कि इस पौधे को जोड़े में लगाने से पति-पत्नी का रिश्ता सही रहता है। साथ ही हमेशा दोनों के बीच प्यार बना रहता है। इसके अलावा आपके घर के अंदर कभी भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।
- जब मोरपंखी का पौधा सूखने लगें तो उसे हटाकर तुरंत दूसरा मोरपंखी पौधा लगा दें। क्योंकि इस पौधे का सुखना शुभ नहीं होता है। इसलिए इसकी देखभाल करें और पौधे को पानी देते रहें।
- मोरपंखी का पौधा लगाने से घर-परिवार में छोटी-छोटी बातों पर होने वाले तनाव खत्म हो जाते हैं। इस बात का ध्यान रखें जहां भी ये पौधा लगाएं वहां पर हल्की धूप आती हो।
डिस्क्लेमर – ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है।