02 November, 2024 (Saturday)

नेपाल का चीन को झटका, भारत को रेल परियोजना के लिए हरी झंडी

चीन को झटका देते हुए नेपाल ने बुधवार को भारत से काठमांडू तक की फास्ट ट्रैक रेलमार्ग परियोजना को स्वीकृति दे दी। इस प्रस्ताव को चीन के तिब्बत से काठमांडू को जोड़ने वाले प्रस्ताव की अनदेखी कर स्वीकृति दी गई है। चीन ने नेपाल की राजधानी काठमांडू तक रेललाइन बिछाने का प्रस्ताव दिया था। नेपाल के ताजा फैसले से हिमालयी देश में प्रभाव स्थापित करने की चीन की कोशिशों को झटका लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि काठमांडू के रेललाइन से संपर्क के खास रणनीतिक मायने हैं, इससे भारत और नेपाल का रक्षा सहयोग और मजबूत होगा।

विशेषज्ञों ने इस रणनीतिक मायने को स्पष्ट करते हुए बताया कि भारत नेपाल में अलग गेज की रेललाइन बिछाएगा। भारत वहां पर 1,676 मिलीमीटर ब्रॉड गेज वाली रेललाइन बिछाएगा। जबकि चीन का रेल ट्रैक 1,435 मिलीमीटर चौड़ाई वाला होता है। इससे भारत के ट्रैक पर चीन की रेल नहीं दौड़ पाएगी। नेपाल की राजधानी से रेल संपर्क कायम होने से जरूरत पड़ने पर वहां जल्दी सैनिक और हथियार भेजे जा सकेंगे। भारत के प्रभाव को साबित करने वाला नेपाल का यह फैसला दोनों देशों के सीमा विवाद और कुछ जुबानी हमलों के बाद लिया गया, इसलिए इसका महत्व और बढ़ गया है।

दोनों देशों के बीच बना अप्रिय वातावरण तब छंटना शुरू हुआ जब अक्टूबर में सबसे पहले भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत कुमार गोयल काठमांडू गए और वहां पर उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की। इसके बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने और उसके बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के काठमांडू दौरे हुए। इन्हीं दौरों से माहौल बदल गया। नेपाल में चीन समर्थक माने जाने रक्षा मंत्री को हटाकर मंत्रालय का कार्यभार प्रधानमंत्री ने खुद अपने पास कर लिया। दोनों देशों से जुड़ी कई परियोजनाओं की प्रक्रिया आगे बढ़ने लगी। अब नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली भारत आ रहे हैं। माना जा रहा है कि ज्ञावली के दौरे से दोनों देशों के बीच गर्मजोशी का वातावरण और बेहतर होगा।

नया रेल मार्ग रक्सौल से काठमांडू को जोड़ने वाला होगा। नेपाली अधिकारियों ने कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) बनाकर देने के लिए कहा है। यह जानकारी नेपाली वेबसाइट रेटोपतीडॉटकॉम ने दी है। यह रेललाइन 136 किलोमीटर लंबी होगी जिसमें से 42 किलोमीटर ट्रेन सुरंग से होकर गुजरेगी। नेपाल सीमा पर स्थित भारत का रक्सौल रेलवे स्टेशन नेपाल के बीरगंज स्टेशन से जुड़ा हुआ है। रक्सौल नेपाल के लिए भारत का गेटवे है। यहां के लिए नई दिल्ली और कोलकाता से सीधे ट्रेन हैं।

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