22 November, 2024 (Friday)

पिता के सपनों को पूरा करने के लिए इस डॉक्टर ने छोड़ दी सरकारी नौकरी

लखनऊ. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर बनकर इलाज करना हर किसी का सपना होता है. लेकिन लखनऊ के एक डॉक्टर ऐसे भी हैं जिन्होंने यहां की नौकरी छोड़ दी. जबकि अच्छे काम की वजह से हर साल उन्हें प्रमोशन मिलता था. दरअसल पिता की मृत्यु के बाद इनके लिए सब कुछ बदल गया. इन्होंने यूनिवर्सिटी से इस्तीफा देकर अपने पिता के काम को जारी रखा.

दरअसल यह कहानी है लखनऊ के डॉक्टर अरशद अहमद की. वो किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में लंबे वक्त तक पाइल्स, फिस्टुला और फिशर जैसी बीमारियों का इलाज करते थे. सर्जरी के जरिए इन्होंने कई गंभीर मरीजों की जान बचाई. इस बीमारी के इलाज के लिए इनके पास विदेश तक से मरीज आते हैं. इनके पिता फिजिशियन थे, जिनका एक बड़ा क्लीनिक चल रहा था डॉक्टर नासिर अहमद के नाम से. लेकिन अचानक पिता की मृत्यु हो गई. पिता गरीब मरीजों का निशुल्क इलाज करते थे, ऐसे में पिता की क्लीनिक का क्या होगा और उनके जो गरीब मरीज हैं वो कहां जाएंगे यही बात अंदर ही अंदर डॉक्टर अहमद को सताने लगी. इसके बाद इन्होंने इतना बड़ा कदम उठाए जो शायद ही कोई डॉक्टर अपने चिकित्सा के पेशे में उठा सकता है.

ऐसे में डॉक्टर अहमद ने केजीएमयू से अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद डॉक्टर अरशद ने अपने पिता की कैंट स्थित डॉक्टर नासिर अहमद क्लीनिक को संभाल लिया और वहां पर जिन मरीजों के पास पैसे नहीं होते हैं या जो गरीब होते हैं उनका निशुल्क इलाज कर रहे हैं.

मन था पुलिस की वर्दी पहनने का
डॉक्टर प्रोफेसर अरशद अहमद ने बताया कि उनके पिता डॉक्टर थे इसीलिए अपने दोनों बच्चों को डॉक्टर बनना चाहते थे. डॉक्टर अरशद के बड़े भाई भी फिजिशियन हैं जबकि बचपन में डॉक्टर अरशद अहमद पुलिस में जाना चाहते थे. वर्दी के प्रति उनका अलग ही आकर्षण था.

राजनाथ सिंह कर चुके हैं सम्मानित
लखनऊ के टॉप डॉक्टर्स में प्रोफेसर अरशद अहमद का नाम है. इन्हें इनके अच्छे काम के लिए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सम्मानित कर चुके हैं. इन्हें यंग सर्जन ऑफ द ईयर का भी अवार्ड मिल चुका है और आउटस्टैंडिंग यंग टीचर अवार्ड भी 2018 में मिल चुका है और इन्हें बेस्ट सर्जन ऑफ द ईयर का भी सम्मान मिला है.

इस बीमारी का आसान किया इलाज
डॉ. अरशद अहमद ने बताया कि पूरे देश भर में आज तक लोग पाइल्स, फिस्टुला और फिशर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं करा पाते हैं. देसी नुस्खे अपनाते हैं और झोलाछाप डॉक्टर के पास जाते हैं जिस वजह से उनकी बीमारी और बढ़ जाती है. केस खराब होने के बाद मरीज उनके पास आते हैं. इसके बावजूद इन्होंने ऐसे गंभीर मरीजों की जान बचाई है. ये बीमारी इस वजह से फैल रही है क्योंकि लोगों का लाइफ स्टाइल खराब हो गया है. लोग जंक फूड खा रहे हैं. फिजिकल एक्टिविटी कम कर दी है. यह बीमारी एक बेहद गंभीर बीमारी है जिससे बचाना बेहद जरूरी है.

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