यूपी का पहला माफिया जिसने जेल से जीता था चुनाव, पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का निधन
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी का मंगलवार की शाम गोरखपुर में निधन हो गया। वह 90 साल के थे। हरिशंकर तिवारी के बेटे पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी ने यहां बताया कि उनके पिता ने गोरखपुर स्थित अपने आवास पर आखिरी सांस ली। विनय ने बताया कि उनके पिता पिछले तीन सालों से बीमार थे। वह दिल की बीमारी समेत कई रोगों से ग्रस्त थे। कई दशकों तक पूर्वांचल की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले तिवारी गोरखपुर जिले के बड़हलगंज थाना क्षेत्र के टांडा गांव के निवासी थे।
जेल से चुनाव लड़ने वाले पहले माफिया
वो साल था 1985 का जब हरिशंकर तिवारी जेल में बंद थे। तब पहली बार वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। बाहुबली कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गये। उसके बाद साल 2002 तक वह लगातार 6 बार निर्वाचित हुए। साल 2007 के विधानसभा चुनाव में वह पराजित हो गये। ये पहली बार था जब कोई हरिशंकर तिवारी के अंदर से चुनाव लड़ा और जीत गया। कहते हैं कि हरिशंकर ही ऐसे पहले नेता थे जो माफिया से माननीय बने।
कल्याण सिंह से लेकर मुलायम सरकार तक रहे मंत्री
हरिशंकर तिवारी कांग्रेस पार्टी के अलावा कांग्रेस (तिवारी) और अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस में रहे। वह अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे। उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के नेता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले हरिशंकर तिवारी राज्य में कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मायावती और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकारों में साल 1997 से 2007 तक लगातार कैबिनेट मंत्री भी रहे।
हरिशंकर के दोनो बेटे भी राजनेता
तिवारी के दो बेटे हैं, जिनमें भीष्म शंकर तिवारी पूर्व में संत कबीर नगर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी अपने पिता की परंपरागत सीट चिल्लूपार का पिछली विधानसभा (2017-2022) तक बहुजन समाज पार्टी से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पूर्वांचल की राजनीति में कभी खासा दबदबा रखने वाले तिवारी के निधन की खबर से उनके क्षेत्र में शोक की लहर है।