रामचरितमानस के मुद्दे पर RJD में हुई दो फाड़, शिक्षामंत्री की मौजूदगी में शिवानंद और जगदानंद आपस में भिड़े
रामचरित मानस पर बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर द्वारा दिए गए विवादित बयान से बवाल मचा हुआ है। इस पर अब उनकी ही उपस्थिति में RJD के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आपस में भिड़ गए। चंद्रशेखर के बयान पर बीजेपी भी उन पर हमला बोल चुकी है। अब आरजेडी में भी विवाद हो रहा है। इस मामले पर पार्टी की मीटिंग में चर्चा किए जाने की बात उठी है।
शिक्षामंत्री की मौजूदगी में भिड़े RJD प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD प्रदेश कार्यालय में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के सामने ही पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने रामचरित मानस पर दिए जा रहे बयान पर गहरी नाराजगी जताई। थोड़ी देर के लिए जगदानंद व शिवानंद तिवारी उलझते दिखे। इस दौरान चंद्रशेखर चुपचाप बैठे रहे। हालांकि वहां पर मौजूद अन्य नेताओं ने माहौल को हल्का करने की कोशिश की।
शिवानंद तिवारी ने जगदानंद की राय पर जताया विरोध
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने जगदानंद सिंह के स्टैंड का विरोध किया है। उन्होंने राजद के प्रदेश अध्यक्ष के सामने ही कहा कि रामचरित मानस पर पार्टी का स्टैंड पार्टी की मीटिंग में तय होगा। उस मीटिंग में तेजस्वी यादव भी रहेंगे। शिवानंद तिवारी ने कहा कि रामायण ग्रंथ सिर्फ घृणा फैलाती है तो मैं व्यक्तिगत रूप से इसके साथ नहीं हूं। हमको नहीं लगता है कि पार्टी में इस तरीके का विचार हुआ है कि पार्टी इसका समर्थन करेगी।
रामचरित मानस मामले पर तेजस्वी यादवी की मौजूदगी में हो बैठक
उन्होंने कहा कि ‘ऐसा कहीं नहीं हुआ है, पार्टी के अंदर अहम निर्णय होता है तो यह निर्णय मीटिंग में ही होना चाहिए। हम भी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। तेजस्वी यादव भी उस मीटिंग में रहें और उस मीटिंग में तय हो कि इस मामले में पार्टी का क्या स्टैंड होना चाहिए।’ तिवारी ने कहा कि ‘बाबा साहब अंबेडकर ने मनुस्मृति को जलाया था। चंद्रशेखरजी अगर राय रखते हैं कि उसमें शूद्रों और महिलाओं के बारे में इस तरह की बात है तो इनको विरोध करने का अधिकार है।’
जानिए क्या कहा था बिहार के शिक्षा मंत्री ने?
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार को कहा था कि रामायण पर आधारित एक महाकाव्य हिंदू धर्म पुस्तक रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाती है। उनके इस दावे के बाद विवाद खड़ा हो गया। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तक बताया था।