23 November, 2024 (Saturday)

Rajasthan Coal Crisis: CM अशोक गहलोत ने कोयले की समस्या को लेकर फिर लगाई सोनिया गांधी से गुहार, जानिए क्या है मामला

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने एक बार फिर कोयले की समस्या का मुद्दा उठाया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी के सामने तीन महीने के अंदर दूसरी बार छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोयला खदानों को मंजूरी देने की गुहार लगाई है। बता दें कि, राजस्थान में बिजली उत्पादन इकाइयों को छत्तीसगढ़ के खदानों से कोयले का आवंटन होता है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है।

पहले भी उठाया था मुद्दा

पीटीआइ के अनुसार, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1 दिसंबर 2021 और फिर 10 फरवरी को सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। गहलोत ने पत्र में लिखा था कि, कोयले की कमी के कारण राजस्थान राज्य को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा था, कोयले की कमी राजस्थान सरकार के काम पर प्रभाव डाल सकता है, और एक अनिश्चित स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि दोनों राज्य में कांग्रेस की सरकार है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया हस्तक्षेप करें, और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को कोयला ब्लाकों के लिए सभी आवश्यक लंबित अनुमोदन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उन्हें निर्देश दें। ताकि राजस्थान को भविष्य में राज्य में बिजली के संकट से बचाया जा सके।

राज्य की बिजली आपूर्ति पर पड़ रहा असर

जानकारी के अनुसार, राजस्थान के कुछ हिस्सों में सितंबर और अक्टूबर 2021 में राज्य को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टाक कम होने के बाद कई घंटों की बिजली कटौती देखने को मिली थी। इसके बाद सीएम अशोख गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी पत्र लिखा था। इस पत्र के लिखे जाने के एक महीने बाद भी छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। जिसके बाद सीएम अशोक गहलोत ने ये मामला सोनिया गांधी के सामने रखा।

अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से की अपील

सीएम अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से अपील की है कि, इस कोयला ब्लाक से खनन जारी रखना जरुरी है, और इसके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ प्रयास किए जा रहे हैं। यदि नई खदानों में देरी होती है, और मौजूदा खदानों में कोयले की कमी हो जाती है, तो राजस्थान में बिजली की दरों में और वृद्धि होगी। और राज्य को महंगे दामों पर कोयला खरीदना होगा, जिससे लागत और उपभोक्ता पर बोझ बढ़ेगा। गहलोत के अनुसार, परसा कोयला ब्लाक में प्रति वर्ष 50 लाख टन कोयले का उत्पादन करने की क्षमता है। इसी तरह, कांटे एक्सटेंशन सालाना 90 लाख टन कोयले का उत्पादन कर सकता है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2015 में छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को तीन कोयला ब्लाक आवंटित किए थे। लेकिन उनमें से केवल एक ही में उत्पादन शुरू हो पाया। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड परसा ईस्ट और कांटे एक्सटेंशन (पीईकेबी) ब्लाक से 15 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करता है, और अन्य परसा और कांटे एक्सटेंशन ब्लाकों के खुलने से उत्पादन दोगुना हो जाएगा। राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के 4,340 मेगावाट बिजली संयंत्र छत्तीसगढ़ में पीईकेबी कोयला ब्लाक से जुड़े हुए हैं। इस कोयला ब्लाक के फेज-1 762 हेक्टेयर वन भूमि से खनन वर्ष 2013 में शुरू हुआ था, और वर्तमान में अधिकतम क्षमता पर काम कर रहा है। इस कोयला ब्लाक से खनन फरवरी 2022 के बाद समाप्त होने की संभावना है।

 

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *