महाराष्ट्र के मेडिकल कालेज के निरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह मुन्ना भाई फिल्म की तरह; जानें क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र के धुले जिले में स्थित अन्नासाहेब चूड़ामन पाटिल मेमोरियल मेडिकल कालेज में अतिरिक्त छात्रों के प्रवेश की अनुमति रद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह मुन्ना भाई फिल्म की तरह है। इस मेडिकल कालेज में औचक निरीक्षण के दौरान भर्ती मरीज चुस्त-तंदुरुस्त मिले थे और बाल चिकित्सा वार्ड में कोई भी गंभीर मरीज नहीं मिला था।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ को बताया कि अतिरिक्त छात्रों के प्रवेश के लिए अनुमति इसलिए रद कर दी गई थी क्योंकि अन्य कमियों के साथ-साथ कालेज में कोई भी आपरेशन थियेटर और एक्स-रे मशीन नहीं थी। पीठ ने कहा, ‘यह चौंकाने वाला है। यह मुन्ना भाई फिल्म की तरह है। वार्ड में सभी मरीज चुस्त-तंदुरुस्त मिले थे। बाल चिकित्सा वार्ड में कोई भी गंभीर मरीज नहीं था। हम नहीं बता सकते कि निरीक्षण रिपोर्ट में और क्या-क्या मिला। हम आश्चर्यचकित हैं।’ कालेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एनएमसी ने बिना नोटिस के निरीक्षण किया और वह भी मकर संक्रांति पर्व पर छुट्टी वाले दिन। इस पर पीठ ने कहा कि बीमारी मकर संक्रांति पर रुक नहीं जाती। आपके मुवक्किल ने यह नहीं कहा कि वहां कोई मरीज नहीं था।
पीठ बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ एनएमसी और मेडिकल कालेज की अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने एनएमसी को कालेज का नए सिरे से निरीक्षण करने के निर्देश और कालेज को छात्रों के प्रवेश की अनुमति प्रदान कर दी थी। एनएमसी ने हाई कोर्ट के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि इसे एनएमसी एक्ट के प्रविधानों को संज्ञान में लिए बिना जारी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का आदेश खारिज करते हुए उस मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए कहा है।