युगल गीतों में भी लाजवाब थी सुरों की मलिका भारत रत्न लता मंगेशकर
लता मंगेशकर ने ढेर सारे एकल गीत गाए और नायिकाओं को उनकी पहचान दी। फिल्म इतिहासकारों ने लिखा है कि लता मंगेशकर के गीत रेडियो पर सुनकर श्रोता इस बात का अंदाजा लगा लेते थे कि कौन-सी नायिका पर्दे पर इस गीत को गा रही होगी। लेकिन लता मंगेशकर जब युगल (डुएट) गीत गाती थीं तो भी उनका सानी नहीं था। लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर और किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मुकेश, लता और तलत महमूद, लता और मन्ना डे इन सबके साथ के गाए गानों में भी लता अपने सहगायकों की आवाज के हिसाब से अपना सुर तय करती थीं।
वे कहती भी थीं कि नायिका और सहगायक से ही वह अपनी सुर और लय तय करती हैं। 1969 में फिल्म दो रास्ते का एक गाना छुप गए सारे नजारे में उनकी और रफी की आवाज मुमताज और राजेश खन्ना के रोमांटिक सीन में गरमाहट पैदा कर देती है। इसके एक साल पहले इजाजत फिल्म का रफी और लता की आवाज का एक गाना भी बेहद लोकप्रिय हुआ, जिसके बोल हैं-ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं..। इसमें तनुजा जब पहाड़ी वादियों में ये गाना गाती हैं तो उनके सहगायक रफी की आवाज उसमें मिलकर दर्शकों को सपनीली दुनिया में ले जाती हैं। स्वर कोकिला लता की आवाज में जब किशोर कुमार की आवाज का मेल होता है तो श्रोता सुरीली आवाज की धुन सुनकर उन्हीं लम्हों में खो जाता है।
विनोद मेहरा और रेखा पर फिल्म घर का गाना आपकी आंखों में कुछ महके हुए से ख्वाब हैं..इन दोनों के अमर गानों में से एक है। फिल्म आंधी में किशोर कुमार के साथ इस मोड़ से जाते हैं कुछ सुस्त कदम रस्ते.. में भी गजब का आकर्षण है। किशोर कुमार के साथ एक और मशहूर गाना फिल्म सिलसिला का है.. देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए..। जावेद अख्तर के लिखे इस गीत को युगल आवाज ने अमर कर दिया। मुकेश के साथ फिल्म मल्हार का गाना बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम.. भी हिंदी फिल्मों में मील का पत्थर है।