23 November, 2024 (Saturday)

Dainik Jagran Impact: पावरटेक कंपनी के बिजली मीटरों पर रोक, दक्षिणांचल वितरण कंपनी ने जारी किए आदेश

गांव के गरीबों को गलत बिलिंग का झटका दे रहे पावरटेक कंपनी के बिजली मीटरों की जितनी पर्देदारी हो सकती थी, की गई। ‘दैनिक जागरण’ ने रविवार के अंक में प्रमुखता से इन मामलों को प्रकाशित किया तो महकमे में खलबली मच गई। आखिरकार दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनी ने पावरटेक कंपनी के बिजली मीटरों पर रोक के आदेश जारी कर दिए। मामले की जांच भी शुरू करा दी गई है।

हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा सौभाग्य योजना चलाई जा रही है। इसके तहत खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के घर मुफ्त में बिजली मीटर लगाए जा रहे हैं। मीटर लगने के बाद से ही उनमें तकनीकी खामियों की शिकायत आने लगी थी, लेकिन विभागीय अधिकारी नजरअंदाज करते रहे। सिलसिला बढ़ा और अप्रत्याशित रूप से रीडिंग और भार जंप करने के तमाम मामले सामने आ गए।

हालात को दैनिक जागरण ने रविवार के अंक में प्रमुखता से उजागर किया तो बिजली विभाग के बड़े अफसरों की नींद टूटी। चूंकि फिलहाल ज्यादा शिकायतें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से संबंधित क्षेत्रों की आई है, इसलिए रविवार को दक्षिणांचल के प्रबंध निदेशक ने पावरटेक के मीटरों पर रोक लगा दी है। साथ ही शिकायत पर तत्काल मीटर उतारने और गलत बिल को ठीक कराने के निर्देश जारी किए हैं।

मीटर का कराया ही नहीं था यूएटी : मीटरों में मिल रही खामियों को जोरशोर से राज्य उपभोक्ता परिषद ने उठाया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि जब भी कोई नई परियोजना या सॉफ्टवेयर किसी भी योजना के लिए लागू किया जाता है तो सबसे पहले यूजर एक्सेप्टेंस टेस्ट (यूएटी) कई चरणों में पूरे सिस्टम में कराने की व्यवस्था है। इससे एक छोर से दूसरे छोर तक सभी घटकों का परीक्षण किया जाता है। उसके बाद तय होता है कि किसी सिस्टम को लागू किया जाए या नहीं। वर्मा का आरोप है कि पहले अगर यूएटी किया गया होता तो आज न तो भार जंपिंग का मामला निकलता, न रीडिंग जंपिंग और न ही जन्माष्टमी के दिन बत्ती गुल का मामला सामने आता। इसी तरह मीटर परीक्षण करने गए अभियंताओं ने मीटर की संचार प्रणाली का परीक्षण नहीं किया। 35 केवी स्पार्क टेस्ट नहीं किया गया। स्मार्ट मीटरों में भी गड़बड़ियां निकली हैं, जिसमें अब तीन माह में यूएटी करने के लिए प्रबंध निदेशक मध्यांचल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। अब सवाल यह उठना लाजिमी है यूएटी पहले किए बिना स्मार्ट मीटर लगाने का काम क्यों शुरू कराया गया।

2500 करोड़ के मीटरों पर सवाल, सीबीआइ जांच की मांग : राज्य उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि पिछले पांच वर्षो में जो भी मीटर खरीदे गए हैं या लगवाए गए हैं, उनकी तत्काल सीबीआइ जांच कराई जाए। इससे बड़े रैकेट का राजफाश हो सकता है। पावरटेक की तरह सौभाग्य योजना में लगे अन्य कंपनियों के मीटर उतरवाकर उनकी जांच होनी चाहिए। कहा गया है कि पिछले तीन वर्ष में प्रदेश में लगभग 2000 हजार करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक मीटर व लगभग 500 करोड़ रुपये के 12 लाख स्मार्ट मीटर व एमडीएम की जांच होनी चाहिए।

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