महात्मा गांधी से सीख सकते हैं ये तीन वित्तीय सबक, लंबी अवधि में होगा बड़ा फायदा
देश की आजादी को लेकर महात्मा गांधी द्वारा किए गए संघर्ष और त्याग से सभी अवगत हैं। इसके साथ ही गांधी जी या बापू के विचार और सिद्धांत आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाले हैं। अगर आप ध्यान से चीजों का विश्लेषण करेंगे तो यह पाएंगे कि गांधी जी के जीवन से आपको कई ऐसे वित्तीय सबक मिलते हैं, जिससे आप अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाएंगे। गांधी जयंती के दिन आइए समझते हैं कि बापू के सबक किस तरह हमारी वित्तीय स्थिति को मजबूत करते हैं और कठिन परिस्थितियों से आसानी से बाहर निकलने में मदद करते हैं।
छोटे से शुरुआत कीजिए लेकिन कीजिए
गांधी जी ने बहुत छोटे स्तर से आजादी के संघर्ष की शुरुआत की थी। उन्होंने लोगों को एकजुट किया था और फिर पूरे अभियान को जन-जन के अभियान के रूप में तब्दील किया था। सबसे अहम शुरुआत करना था। इसी तरह जब बात फाइनेंस और निवेश की आती है, तो इसके लिए सबसे अहम हो जाता है शुरुआती झिझक को छोड़कर शुरू करना। आप कम रकम से शुरुआत कर सकते हैं और बाद बड़ा फंड बना सकते हैं।
दाहरण के तौर पर इक्विटी मार्केट में मौजूद संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए 500 रुपये प्रति महीने से सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान शुरू कर सकते हैं। बाद में इस धनराशि को और बढ़ा सकते हैं। आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, आपके पास अपनी धनराशि को और अधिक बढ़ाने का समय होगा। अपने लंबे अवधि या छोटे अवधि के लक्ष्य की तुलना में आपको जल्द प्लान करना चाहिए और उसी हिसाब से इंवेस्ट करना चाहिए।
आहार के लिए ये था गांधी का नियम
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के गांधी और पीस स्टडीज विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सुनील महावार कहते हैं कि गांधी जी निरोग रहने के लिए आहार पर विशेष बल देते थे। वह कहते थे आहार स्वाद के लिए नहीं उदर पूर्ति के लिए होना चाहिए। आहार सादा होना चाहिए। इससे शरीर निरोगी रहेगा। गांधी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि व्यक्ति का जब पेट खराब होता है तो उसे उसके कारणों के बारे में सोचना चाहिए। क्या उसने अधिक खाना खाया? क्या उसने खराब या गरिष्ठ खाना खाया? पेट दर्द होने पर डॉक्टर हमको दवाई देगा। अगर यही प्रक्रिया चलती रही तो हमको दवा की आदत पड़ जाएगी। ऐसे में किसी व्याधि के मूल को समझना चाहिए। प्रोफेसर सुनील महावार कहते हैं कि गांधी हिंद स्वराज में लिखते हैं कि मुझे चिकित्सक की आवश्यकता नहीं है। मैं अपने शरीर का स्वयं ध्यान रख सकता हूं। पंजाब विश्वविद्यालय के गांधी और पीस स्टडीज विभाग के प्रोफेसर मनीष शर्मा मानते हैं कि गांधी कहते थे कि आहार पर कंट्रोल जरूरी है। खान-पान पर नियंत्रण कई समस्याओं का हल दे देता है।