शनि जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निपटकर शुद्ध हों। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर हाथ में जल लेकर शनि देव की पूजा और व्रत का संकल्प लें। एक चौकी पर काला वस्त्र बिछाकर उस पर एक सुपारी रखकर उसके दोनों तरफ तेल का दीपक और धूप जलाएं। शनि देव के इस प्रतीक स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, और इत्र आदि से स्नान कराएं।

इन बातों का रखें ध्यान

1. शनि देव की पूजा के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करना चाहिए।

3. शनि जयंती या शनि पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

4. इस दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए।

5. किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को तेल में बने खाद्य पदार्थों का सेवन करवाना चाहिए।

6. गाय और कुत्तों को भी तेल में बने पदार्थ खिलाने चाहिए।

7. बुजुर्गों व जरुरतमंद की सेवा और सहायता भी करनी चाहिए।