भारत और चीन अगले दौर की सैन्य वार्ता के लिए राजी, जल्द हो सकती है बातचीत
भारत और चीन एक बार फिर से सैन्य वार्ता के लिए तैयार हो गए हैं। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सैनिकों की जल्द और पूरी तरह वापसी के लिए भारत और चीन सैन्य स्तर की बातचीत करने पर राजी हो गए हैं। यह बातचीत जल्द हो सकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं से दोनों देशों को इस मुद्दे पर एक दूसरे का पक्ष समझने में मदद मिली है।
पिछले सप्ताह भारत और चीन के बीच एक और दौर की कूटनीतिक बातचीत हुई थी। यह बातचीत भारत-चीन सीमा को लेकर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र के तहत हुई थी। वर्चुअल बैठक के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के सभी स्थानों से जितनी जल्द संभव हो, सैनिकों की वापसी के लिए काम किया जाए। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के जरिये बातचीत जारी है। इन वार्ताओं से हमें एक दूसरे की स्थिति को समझने में मदद मिली है।
फंसे जहाजों के मुद्दे पर गतिरोध समाप्त करने के लिए चीन के संपर्क में है भारत
पिछले कुछ माह से चीनी जलक्षेत्र में फंसे दो मालवाहक जहाजों के मामले को लेकर भारत सरकार काफी गंभीर है। इसका जल्द समाधान निकालने के लिए हम चीनी प्रशासन के लगातार संपर्क में हैं। दोनों जहाजों पर चालक दल के 39 भारतीय नागरिक सवार हैं। ये बातें भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहीं। उन्होंने कहा कि मालवाहक पोत एमवी जग आनंद 13 जून से चीन के हुबेई प्रांत में जिंगटांग बंदरगाह के पास खड़ा है।
इस पर 23 भारतीय नागरिक चालक दल के रूप में सवार हैं। एक दूसरे पोत एमवी अनासतासिया पर 16 भारतीय नागरिक चालक दल के रूप में हैं। यह 20 सितंबर से चीन के कोओफिदियन बंदरगाह के पास खड़ा है और माल के निपटारे का इंतजार कर रहा है। अनुराग ने कहा कि हमारा उच्चायोग चीनी प्रशासन के संपर्क में है। चीनी प्रशासन ने बताया है कि कोविड-19 के मद्देनजर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हंै। इस कारण इन बंदरगाहों पर चालक दल में बदलाव की अनुमति नहीं दी गई। हालांकि, कुछ अन्य जहाज, जो भारतीय जहाज के बाद वहां पहुंचे, वे माल उतारने और रवाना होने में सफल रहे। हम वहां के प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में हैं। उनसे आग्रह कर रहे हैं कि जहाज को लंगर डालने और चालक दल को बदलने की अनुमति दी जाए।