राज्यों को केंद्रीय करों के हस्तांतरण पर वित्त आयोग ने सौंपी रिपोर्ट, शीतकालीन सत्र में संसद में पेश करने के बाद रिपोर्ट होगी सार्वजनिक
अगले वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान राज्यों के बीच केंद्रीय करों के हस्तांतरण पर 15वें वित्त आयोग ने सोमवार को भारत के राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। कोरोना काल में सौंपी गई इस रिपोर्ट को ‘फाइनेंस कमीशन इन कोविड टाइम्स’ का शीर्षक दिया गया है। इस रिपोर्ट को शीतकालीन सत्र में संसद के समक्ष पेश करने के बाद सार्वजनिक किया जाएगा। अब तक वित्त आयोग मुख्य रूप से केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी और उसके हस्तांतरण पर अपनी रिपोर्ट देती है, लेकिन 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च, डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) बिजली क्षेत्र को मिलने वाले इंसेंटिव, ठोस कचरा प्रबंधन जैसे मामलों में भी अपनी सिफारिश की गई है।
आयोग ने सभी राज्यों के वित्तीय हालात का गहराई से जायजा लिया है और सभी राज्यों की चुनौतियों को देखते हुए उससे निपटने के लिए अलग-अलग तरीके से सिफारिश की है। 15वें वित्त आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में अपने पूर्व आयोग की तरह ही केंद्रीय करों की 42 फीसद राशि को राज्यों को हस्तांतरित करने से सहमति जताई थी। हालांकि, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए एक फीसद हिस्सेदारी तय करने से यह राशि 41 फीसद रह गई।
सूत्रों के मुताबिक पंद्रहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट में सेना और आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी अलग से एक फंड बनाने की सिफारिश की गई है। कोरोना काल को देखते हुए स्थानीय निकायों को मिलने वाले अनुदान, विपदा प्रबंधन अनुदान जैसे मामलों में आयोग ने अपनी सिफारिश रखी है। रिपोर्ट में कोरोना काल को देखते हुए आर्थिक चुनौतियों व उनसे निपटने के उपायों के रोडमैप भी दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक आयोग ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर राज्य व केंद्र दोनों के जीडीपी के 2.5 फीसद राशि खर्च करने की सिफारिश की है।
अभी राज्य व केंद्र के कुल जीडीपी का मात्र 0.9 फीसद खर्च स्वास्थ्य क्षेत्र होता है। सूत्रों के मुताबिक आयोग ने एक सुरक्षा फंड की स्थापना की भी सिफारिश की है। इस फंड से सेना, अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस के विकास पर खर्च किया जाएगा। इस फंड को मार्डेनाइजेशन आफ डिफेंस एंड इंटरनल सिक्युरिटी फंड का नाम दिया जा सकता है।