बुनियादी परियोजनाओं की लागत 4.37 लाख करोड़ बढ़ी
बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 437 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की सितंबर-2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,663 परियोजनाओं में से 437 की लागत बढ़ी है, जबकि 531 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन 1,663 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,09,236 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 25,47,057 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 20.76 प्रतिशत यानी 4,37,821 करोड़ रुपये बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर-2020 तक इन परियोजनाओं पर 11,61,525 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 45.60 प्रतिशत है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 430 पर आ जाएगी। रिपोर्ट में 924 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि देरी से चल रही 531 परियोजनाओं में 122 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 128 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 160 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की तथा 121 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं। इन परियोजनाओं की देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं।