01 November, 2024 (Friday)

थूथुकुडी में करीब 17,300 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थूथुकुडी में हरित नौका पहल के तहत भारत के पहले स्वदेशी हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल अंतर्देशीय जलमार्ग जहाज को हरी झंडी दिखाई। इसके बाद, थूथुकुडी के निकट कुलसेकरापट्टिनम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नए प्रक्षेपण परिसर का शिलान्यास किया, जिसकी लागत लगभग 986 करोड़ रुपये है। बताया जा रहा है इसके बनकर तैयार होने पर यहां से प्रति वर्ष 24 प्रक्षेपण किए जा सकेंगे। इसरो के इस नए परिसर में ‘मोबाइल लॉन्च स्ट्रक्चर’ (एमएलएस) तथा 35 केंद्र शामिल हैं। इससे अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, ‘आज तमिलनाडु थूथुकुडी में प्रगति का नया अध्याय लिख रहा है। कई परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास किया जा रहा है। यह परियोजनाएं विकसित भारत के रोडमैप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन परियोजनाओं में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना भी देखने को मिलेगी।’

सत्य कड़वा होता है
उन्होंने कहा, ‘सत्य कड़वा होता है, लेकिन सत्य जरूरी भी होता है। मैं यूपीए सरकार पर सीधा-सीधा आरोप लगा रहा हूं। जो प्रोजेक्ट्स मैं आज लेकर आया हूं, ये दशकों से यहां के लोगों की मांग थी। आज जो यहां सत्ता में हैं, वे लोग उस समय दिल्ली में सरकार चलाते थे, लेकिन उनको आपके विकास की परवाह नहीं थी। बातें तमिलनाडु की करते हैं, लेकिन तमिलनाडु की भलाई के लिए कदम उठाने की हिम्मत नहीं थी। आज मैं तमिलनाडु की धरती पर इस राज्य का भाग्य लिखने के लिए एक सेवक बनकर आया हूं।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आज भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन फेरी को लॉन्च किया गया है। यह फेरी जल्द ही काशी में गंगा नदी में चलेगी, यह एक तरह से तमिलनाडु के लोगों का काशी के लोगों को बहुत बड़ा उपहार है।’

यह नया भारत है
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने एक बार मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि देश के प्रमुख लाइटहाउस को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। आज मुझे देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित 75 लाइटहाउस में विकसित की गई पर्यटन सुविधाओं को देश को समर्पित करने का सौभाग्य मिला है…यह नया भारत है।’
उन्होंने कहा, ‘जलमार्ग और समुद्री क्षेत्र को दशकों तक हमारे देश में उपेक्षा के साथ देखा गया, लेकिन यही उपेक्षित क्षेत्र आज विकसित भारत की बुनियाद बन रहे हैं। तमिलनाडु और दक्षिण भारत को इसका सबसे बड़ा लाभ मिल रहा है।’

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