बस्तर का किरदार मिलना मेरा सौभाग्य
फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के बाद अभिनेत्री अदा शर्मा इन दिनों अपनी आगामी फिल्म ‘बस्तर – द नक्सल स्टोरी’ को लेकर काफी उत्साहित हैं। अदा शर्मा मानती हैं कि यह फिल्म उनके करियर की सबसे कठिन फिल्म है। इस फिल्म में अदा शर्मा बस्तर की पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) नीरजा माधवन की भूमिका निभा रही हैं। जब इस फिल्म की कहानी लिखी गई थी तो इस किरदार को पुरुष अधिकारी के हिसाब से लिखा गया था। फिल्म ‘बस्तर द नक्सल स्टोरी’ का ट्रेलर मंगलवार को रिलीज होने जा रहा है।
‘द केरल स्टोरी’ के बाद आपके व्यक्तिगत और पेशवर जीवन में क्या बदलाव आया?
व्यक्तिगत जीवन में तो कोई बदलाव नहीं आया है। जैसी थी वैसी ही हूं, प्रोफेशनल जीवन में बदलाव यह आया है कि अब लोगों का विश्वास बढ़ा है। इस फिल्म के बाद इंडस्ट्री के बहुत सारे लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। मुझे बहुत खुशी है कि शाहरुख खान, सलमान खान और रणबीर कपूर जैसे सुपरस्टार की बड़ी-बड़ी फिल्म के साथ लोग मेरी छोटी सी फिल्म का नाम भी ले लेते है। यह बहुत अच्छा लगता है। जब हम इस फिल्म को बना रहे थे तो यह बहुत ही छोटी फिल्म थी। हमारी कोशिश यही थी कि जितने लोगों तक जागरूकता पहुंचे बड़ी अच्छी बात है। लेकिन, इतने लोगों के दिलों तक फिल्म पहुंच जाएगी लोग इतना पसंद करेंगे यह बात हमने नहीं सोची थी।
द केरल स्टोरी’ की सफलता के बाद आपको बहुत सारी फिल्मों के ऑफर आए होंगे?
इस फिल्म के बाद इंडस्ट्री के लोगों में इतना तो विश्वास बढ़ा कि मैं बड़ी फिल्मों का भी हिस्सा बन सकती हूं। ऑफर तो आते रहते हैं, लेकिन अभी भी कुछ अच्छे प्रोजेक्ट्स का इंतजार है। जब मैं किसी फिल्म के लिए न बोलती हूं तो मुझे अच्छा तो नहीं लगता है, मेरी शुरू से ऐसी ही आदत रही है कि मेरी वजह से किसी को दुख न हो। अच्छा काम करना ही मेरी प्राथमिकता है। ‘द केरल स्टोरी’ के बाद लोगों की मुझसे बेहतर काम करने की उम्मीदें बढ़ी हैं, मुझे लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना है।
वेब सीरीज ‘सनफ्लावर सीजन 2’ करने की क्या खास वजह रही?
इस सीरीज में मेरा जिस जिस तरह का किरदार है, उस तरह का अतरंगी किरदार मैंने कभी नहीं निभाया था। इस सीरीज में रोजी का ऐसा किरदार है कि बहुत ही प्यार से सबसे काम निकलवा लेती है। इस किरदार को निभाने का एक अलग अनुभव रहा। कोई भी प्रोजेक्ट साइन करने से पहले मैं अपने दिल की सुनती हूं। जब मैं फिल्म ‘1920’ से अपने करियर की शुरुआत कर रही थी तो लोग यही सलाह देते थे कि हॉरर फिल्म मत करो। आप खूबसूरत दिखती हो, फिल्म की हीरोइन जैसी खूबसूरत दिखो। फिल्म में थोड़ा नाच गाना और ग्लैमर होना चाहिए। लेकिन मुझे लगा कि ऐसे रोल किसे मिलते हैं करने के लिए, लोग पूरी जिंदगी भर काम करते हैं फिर भी ऐसी भूमिकाएं निभाने का मौका नहीं मिलता है। जब ‘द केरल स्टोरी’ कर रही थी तब सब कहते थे कि ‘कमांडो’ जैसी बड़ी एक्शन फिल्म की है तो ऐसी ही फिल्म करो।
और, ‘बस्तर – द नक्सल स्टोरी’ के बारे में क्या कहना चाहेगी ?
इस फिल्म को करने से पहले मैं समझती थी कि ‘द केरल स्टोरी’ ही मेरे करियर की सबसे कठिन फिल्म हैं, लेकिन अब ‘बस्तर – द नक्सल स्टोरी’ करने के बाद मैं यह कह सकती हूं कि यह फिल्म मेरे करियर की सबसे कठिन फिल्म है। इस फिल्म में मैं आईजी नीरजा माधवन की भूमिका निभा रही हूं, पहले यह किरदार पुरुष पात्र के हिसाब से लिखा गया था। लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि यह किरदार मुझे करने का मौका मिला है। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है। हमारे देश के अंदर के ही दुश्मनों ने हमारे 76 जवानों को मार दिया। इस घटना के बारे में तो सबको पता है। यह कितनी दुखद बात है कि हमारे देश में ही हमारे दुश्मन छुपे बैठे हैं।
इस फिल्म में कहीं ना कहीं मां-बेटी के संबंधों को दिखाया गया है। पिछले कुछ समय से सिनेमा में यह जो बदलाव आया है, इसे किस तरह से देखती है ?
यह बहुत अच्छा बदलाव है। रही बात फिल्म ‘बस्तर – द नक्सल स्टोरी’ की तो इसमे बहुत कुछ दिखने वाला है। इस फिल्म में हर किरदार का अपना महत्व है। चाहे वह छोटा किरदार हो या फिर कोई दूसरा किरदार हो। इस फिल्म का हर किरदार अपने आप में हीरो है। इस फिल्म के बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं बता सकती, लेकिन इतना जरूर है कि इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक एक बार जरूर चौकेंगे।
आपकी अपनी मां के साथ कैसी बॉन्डिंग हैं ?
मम्मी के साथ मेरी बहुत मजबूत बॉन्डिंग है। उनसे सारी बातें साझा करती हूं, जो नहीं बता पाती, वह भी मुझे देखकर वह समझ जाती हैं। हर मां का दिल ही ऐसा होता है कि बिना कुछ कहे ही समझ जाती है। मां की जगह दुनिया में कोई नहीं ले सकता है। हर हाल में वह अपने बच्चों की खुशिया ही देखना चाहती है।
महिला दिवस पर महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी ?
हमारे देश की महिलाएं पहले से ही काफी सशक्त और मजबूत हैं। हर क्षेत्र में महिलाएं खूब नाम और सम्मान कमा रही हैं। लेकिन, जब मैं देखती हूं कि एक महिला दूसरी महिला को नीचा दिखा रही है तो बहुत बुरा लगता है। किसी को नीचा गिराना बहुत आसान लगता है। लोगों को इसमें बहुत खुशी होती है। जब महिलाएं एक-दूसरे का सम्मान करेंगी तो मैं समझूंगी कि महिलाएं पूरी तरह से सशक्त और मजबूत हैं ।