01 November, 2024 (Friday)

प्याज की बढ़ती कीमतों को काबू में करने की कोशिश, केंद्र ने राज्यों से कहा- बफर स्टॉक से उठाएं प्याज

केंद्र सरकार ने प्याज की आसमान छूती खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयासों में तेजी ला दी है। इसके तहत केंद्र सरकार ने अब राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय सुरक्षित भंडार से प्याज की खेप उठाने को कहा है। देश के कई हिस्सों में प्याज की खुदरा कीमतें 75 रुपये प्रति किलो के स्तर को भी पार कर गयी हैं।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 22 अक्टूबर को मुंबई में खुदरा प्याज की कीमतें 86 रुपये किलो, चेन्नई में 83 रुपये किलो, कोलकाता में 70 रुपये किलो और दिल्ली में 55 रुपये किलो थीं। उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने बताया, ‘‘हमने कीमत वृद्धि पर अंकुश लगाने के प्रयासों को तेज कर दिया है। हमने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से खुदरा हस्तक्षेप के लिये बफर स्टॉक से प्याज लेने का अनुरोध किया है।’’

उन्होंने कहा कि असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु ने इसमें रुचि दिखाई है। ये राज्य बफर स्टॉक से कुल 8,000 टन प्याज ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रालय, अन्य राज्यों से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है। केंद्र नासिक, महाराष्ट्र के भंडारित बफर स्टॉक से 26-28 रुपये प्रति किलोग्राम की खरीद दर पर उन राज्यों को प्याज की पेशकश कर रहा है, जो अपने आप स्टॉक को उठाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि जिन राज्यों को प्याज पहुंचाये जाने (डिलीवरी भेजने) की जरुरत है, उनके लिए कीमत 30 रुपये प्रति किलोग्राम होगी। इसके अलावा, सचिव ने कहा कि सहकारी संस्था नाफेड, जो सरकार की ओर से प्याज की बफर स्टॉक के लिए खरीद और उनका रखरखाव कर रहा है, देशभर के थोक मंडियों में प्याज के स्टॉक को ला रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए, नाफेड राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय भंडार और मदर डेयरी के सफल बिक्री केन्द्र के माध्यम से खुदरा बिक्री के लिए बफर स्टॉक से प्याज भी दे रहा है।

सरकार ने अब तक वर्ष 2019-20 की रबी फसल से की गई खरीद से बनाए गए 1,00,000 टन के बफर स्टॉक से 30,000 टन प्याज बाजार में ला चुकी है। खरीफ प्याज के मंडियों में जल्द ही पहुंचने की संभावना है और सरकार को उम्मीद है कि 37 लाख टन की अनुमानित खरीफ फसल उत्पादन के बाजार में आने के बाद बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी, जिससे कीमतें कम होंगी।

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