पहले शपथ ग्रहण में न्योता, अब बकरीद की बधाई… मालदीव के मुइज्जू पर मोदी यूं ही नहीं ‘मेहरबान’,
नई दिल्ली: जबसे मालदीव में मुइज्जू की सरकार आई है. तबसे भारत और मालदीव के रिश्ते में खटास आ गई है. पाकिस्तान की तरह ही मालदीव अब चीन की गुलामी पर उतर आया है. मगर भारत का सबसे अच्छा पड़ोसी चीन का गुलाम बन जाए और अपना दुश्मन बन जाए, यह बात प्रधानमंत्री मोदी को तनिक भी रास नहीं आई. यही वजह है कि मोदी 3.0 में मालदीव और भारत के बेपटरी हुए रिश्ते को पटरी पर लाने की कवायद तेज हो गई है. इसकी पहली बानगी तब दिखी जब पीएम मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को खास मेहमान के तौर पर बुलाया. और अब तो पीएम मोदी ने बकरीद पर मुइज्जू को बधाई संदेश भी भेज दिया.
दरअसल पिछले साल मालदीव ने मुइज्जू की सरकार बनी. मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है. सरकार में आते ही मुइज्जू ने भारत विरोधी कई कदम उठाए. जिसकी वजह से रिश्ते खराब हो गए. मालदीव से भारतीय सेना की वापसी और पीएम मोदी के लक्ष्यदीप दौरे पर टिप्पणी ये कुछ उदाहरण हैं. मालदीव इससे पहले भारत का अच्छा पड़ोसी रहा है. मुइज्जू के बहाने चीन मालदीव को भारत से दूर करना चाहता है. यही वजह है कि वह लगातार मुइज्जू पर डोरे डाल रहा है. अब मुइज्जू भी चीन की प्रभाव में आकर भारत संग रिश्तों को ताख पर रख रहे हैं. मगर मुइज्जू ये नहीं समझ रहे हैं कि आखिर चीन उनपर डोरे क्यों डाल रहा है.
मालदीव के बहाने हिंद महासागर में दबदबा बनाना चाहता है चीन
चीन की रणनीति हमेशा से भारत को घेरने की रही है. हिंद महासागर में दबदबा बनाने के लिए चीन तमाम तरह के तिकड़म कर रहा है. पहले उसने श्रीलंका को कर्ज दे-देकर डुबोया. फिर उसका इस्तेमाल कर अपना जासूसी जहाज श्रीलंका के तट पर खड़ा किया. चीन की यह चाल भी भारत को घेरने की ही थी. अब श्रीलंका की आर्थिक स्थिति दयनीय है. अब भारत को घेरने के लिए चीन मालदीव का इस्तेमाल कर रहा है. हालांकि मालदीव भी इस बात को नहीं समझ रहा है और चीन के झांसे में आ रहा है. हाल ही में चीन ने मालदीव के तट पर अपना जासूसी जहाज खड़ा किया था. जिसके बाद खूब बवाल मचा था. हालांकि चीन ने तर्क दिया था कि उसका यह जहाज रिसर्च के लिए यहां आया है.
मोदी क्यों दे रहे हैं मालदीव को तरजीह
पीएम मोदी चीन को हर चाल को समझ रहे हैं. वह जानते हैं कि चीन की साजिश को तभी नाकाम किया जा सकता है जब पड़ोसी देशों से रिश्ते अच्छे हों. इसिलिए मालदीव के तनावपूर्ण रिश्तों के बाद भी उन्होंने बड़ा दिल दिखाया और मालदीव के राष्ट्रपति को अपने तीसरे शपथ ग्रहण में विशेष आमंत्रण दिया. मुइज्जू भी आए और भारत से बेपटरी हुए रिश्ते को पटरी पर लाने की कोशिश की. और अब पीएम मोदी ने उन्हें बकरीद की बधाई दी है. पीएम मोदी की इस रणनीति से साफ समझा जा सकता है कि वह अपने पड़ोसी देश से अच्छे रिश्ते चाहते हैं. और पड़ोसी देश के बहाने पीएम मोदी चीन की तमाम साजिश को नाकाम करना चाह रहे हैं.