केजरीवाल मसले को लेकर अमेरिका की टिप्पणी पर भारत ने जताई नाराजगी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर अमेरिका की टिप्पणी पर भारत ने नाराजगी जताई है। दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बुधवार को अमेरिका के कार्यवाहक मिशन उप-प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को तलब किया। मुलाकात करीब 40 मिनट तक चली। दरअसल, अमेरिका ने भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश की थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से जुड़ी रिपोर्ट पर वह करीबी नजर रख रहा है। वह निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है।
इससे पहले जर्मनी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर बयान दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा इस मामले में जर्मन दूतावास के उप प्रमुख जॉर्ज एन्जवीलर को तलब किया गया था। भारत ने इसे देश की आंतरिक घटना बताया था और जर्मन पक्ष की टिप्पणियों पर कड़ा विरोध जताया था।
जर्मनी ने क्या कहा था?
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद जर्मनी ने कहा था कि हम इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हम उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता, बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानक इस मामले में लागू होंगे। केजरीवाल को निष्पक्ष सुनवाई का पूरा अधिकार है।
भारत ने क्या दी थी प्रतिक्रिया?
इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था। इसमें कहा गया कि जर्मनी की टिप्पणी को हम भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता में दखल के रूप में देखते हैं। भारत एक मजबूत कानून व्यवस्था वाला देश है और इस मामले में भी कानून अपना काम करेगा।
जेल से सरकार चलाएंगे केजरीवाल
इससे पहले दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक ईडी की रिमांड पर भेजा दिया गया था। हालांकि, ईडी अदालत से 10 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन जांच एजेंसी को 6 दिन की रिमांड दी गई। अब केजरीवाल को 28 मार्च की दोपहर 2 बजे कोर्ट में पेश किया जाएगा। रिमांड मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा और जेल से ही सरकार चलाऊंगा।