कोश्यारी समिति की रिपोर्ट सरकारी नीति के बयान के रूप में लागू नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि ‘एक रैंक-एक पेंशन’ (ओआरओपी) से संबंधित भगत सिंह कोश्यारी समिति की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश की गई थी और इस रिपोर्ट को सरकारी नीति के बयान के रूप में लागू नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा कोई कानूनी आदेश नहीं है कि समान रैंक वाले पेंशनभोगियों को उतनी ही पेंशन दी जाए।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, ‘अब यह समझने की जरूरत है कि कोश्यारी समिति की रिपोर्ट याचिका समिति द्वारा राज्यसभा को सौंपी गई एक रिपोर्ट है। रिपोर्ट को सरकारी नीति के बयान के रूप में लागू नहीं किया जा सकता है।’ पीठ ने कहा कि केंद्र द्वारा तीनों रक्षा बलों के प्रमुखों को भेजे गए सात नवंबर, 2015 के पत्राचार को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है कि यह केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई नीति के मूल इरादे के विपरीत है। पीठ ने कहा कि भगत सिंह कोश्यारी समिति की रिपोर्ट 10 दिसंबर, 2011 को राज्यसभा में पेश की गई थी और यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मांग के कारण, संसदीय समिति के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है, जिसने सशस्त्र बलों से संबंधित कर्मियों के लिए ओआरओपी को अपनाने का प्रस्ताव रखा था।