25 November, 2024 (Monday)

IPO की राशि के दुरुपयोग पर रोक, प्राइस बैंड निर्धारित करने में सेबी की नहीं होगी कोई भूमिका : चेयरमैन

कंपनियां अब आइपीओ के माध्यम से जुटाई गई रकम का मनमाना उपयोग नहीं कर सकेंगी। उन्हें रकम उन्हीं मदों में लगानी होगी जिनका जिक्र उन्होंने रकम जुटाने के दस्तावेज में किया होगा। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इस वर्ष की अपनी अंतिम बोर्ड बैठक में इसी तरह के कुछ बेहद महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। मंगलवार को सेबी बोर्ड ने एक अहम फैसला करते हुए प्रारंभिक पब्लिक आफर (आइपीओ) से जुटाई गई राशि के उपयोग के मौजूदा नियमो में कुछ बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।नए फैसलों के तहत कंपनियां आइपीओ से जुटाई गई राशि का एक खास हिस्सा ही भविष्य के किसी कारोबारी अधिग्रहण के लिए कर सकेंगी।

म्यूचुअल फंड के लिए कोई भी योजना बंद करने से पहले उसके अधिसंख्य यूनिटधारकों की मंजूरी अनिवार्य कर दी है। अगर अधिसंख्य यूनिटधारक नहीं चाहेंगे, तो फंड योजना चलती रहेगी। सेबी ने बैठक में तय किया कि आइपीओ से जुटाई गई रकम का अधिकतम 25 प्रतिशत ही भविष्य के अधिग्रहणों के लिए रखा जा सकेगा। सेबी ने यह स्पष्ट किया है कि यह नियम उन कंपनियों के लिए लागू नहीं होगा जिन्होंने आइपीओ के संदर्भ में सौंपे गए प्रपत्र में किसी खास अधिग्रहण को लेकर जानकारी दे दी हो। इसके अलावा आइपीओ से संचित कुल राशि का अधिकतम 35 प्रतिशत ही कंपनियां सामान्य परिचालन संबंधी कामकाज के लिए रखेंगी।

इस मद में जो राशि कंपनी की तरफ से आरक्षित कर रखी जाएगी, उसकी भी निगरानी सेबी कर सकेगा। बोर्ड के फैसलों की जानकारी देन हुए सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि सेबी की मंशा आइपीओ की कीमतों को लेकर हस्तक्षेप करने की नहीं हैं, शेयरों की कीमत तय करने का काम बाजार के जरिये ही होनी चाहिए।आइपीओ में आफर फार सेल व्यवस्था के तहत एंकर निवेशकों के लाक-इन पीरियड को बढ़ाकर 90 दिनों का कर दिया है। बुक बि¨ल्डग के जरिये शेयर आफर करने की व्यवस्था में फ्लोर प्राइस की 105 प्रतिशत राशि (न्यूनतम) को प्राइस बैंड माना जाएगा। यानी एक बार आधिकारिक तौर पर बुक बि¨ल्डग प्रक्रिया की अधिसूचना जारी होने के बाद कंपनियां प्राइस बैंड में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं कर सकेंगी।

ये हैं महत्वपूर्ण बदलाव

आइपीओ से जुटाई गई रकम का अधिकतम 25 प्रतिशत ही भविष्य के अधिग्रहणों के लिए, अधिकतम 35 प्रतिशत ही सामान्य परिचालन संबंधी कामकाज के लिए रखा जाएगा- आइपीओ में आफर फार सेल के तहत एंकर निवेशकों की लाक-इन अवधि 90 दिनों की होगी- म्यूचुअल फंड योजनाओं को बंद करने से पहले लेनी होगी बहुसंख्य यूनिटधारकों की अनुमति- संकटग्रस्त संपत्तियों में निवेश के लिए बनेगा स्पेशल सिचुएशन फंड, इनकी न्यूनतम पूंजी 100 करोड़ रुपये होगी

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