लखनऊ : 10 साल बाद टूटी विक्रमादित्य मार्ग की खामोशी, आखिरी बार मुलायम सिंह ने दी थी गिरफ्तारी
सड़क पर उतरकर संघर्ष करना जिस समाजवादी पार्टी की पहचान थी। वह संघर्ष करीब 10 साल के बाद सोमवार को सड़क पर दिखायी दिया। वर्ष 2010 तक नेताजी मुलायम सिंह यादव ही थे जिन्होंने खुद आंदोलन का नेतृत्व किया। लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग से हजरतगंज चौराहा तक प्रदर्शन के बाद वह गिरफ्तार भी हुए। अब जबकि विक्रमादित्य मार्ग की खामोशी टूटी है तो कार्यकर्ताओं का जोश भी हाइ हुआ है। अब कार्यकर्ताओं की नजर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के अगले आंदोलनों पर भी है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने सरकारों की नीतियों के खिलाफ जमीन पर आंदोलन किया। लखनऊ उनके आंदोलन का गढ़ रहा। अधिकांश साइकिल यात्रा की शुरुआत विक्रमादित्य मार्ग स्थित प्रदेश कार्यालय से हुई। यह संयोग है कि मुलायम सिंह यादव जब आखिरी बार 19 जनवरी 2010 को प्रदेश कार्यालय से निकलकर हजरतगंज में गिरफ्तार हुए तो सुशील दीक्षित पार्टी के नगर अध्यक्ष थे। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में कोई गिरफ्तारी नहीं दी। सुशील दीक्षित बताते हैं कि वर्ष 2002 में भी प्रदेश कार्यालय में जब नेताजी मुलायम सिंह यादव, मोहन सिंह जैसे नेता कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इसके बाद हजरतगंज कूच का कार्यक्रम था।
इस बीच पुलिस ने गेट बंद कर पथराव कर दिया था। तब भी नेताजी के साथ कार्यकर्ता भी डटे रहे। वर्ष 2012 से 2017 तक सपा की सरकार रही। वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं को प्रदेश कार्यालय की अनुमति के बिना धरना प्रदर्शन न करने के निर्देश दिए गए। तब से महानगर और जिला के आंदोलनों पर अंकुश भी लगा था। इस साल दो अक्टूबर को सपा कार्यकर्ताओं ने बड़ा धरना हजरतगंज में दिया था। लेकिन पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष को विक्रमादित्य मार्ग से निकलकर गिरफ्तारी देने पर कार्यकर्ता अब अगली लड़ाई के लिए तैयारी में जुट गए हैं।