इस दिन है नए साल की पहली एकादशी, इस दिन इन उपायों को करने से संतान को मिलेगी अपार सफलता
Paush Putrada Ekadashi 2023: इस साल 2 जनवरी 2023 को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है एक श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरा पौष मास के शुक्ल पक्ष में। हालांकि इन दोनों ही एकादशी का समान रूप से महत्व है। पुत्रदा एकादशी करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। वहीं इस व्रत को करने से संतान का भविष्य उज्जवल होता और वे जीवन में खूब तरक्की करते हैं। इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, एकादशी व्रत करने से हजारों साल तपस्या करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
पौष पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त
पौष शुक्ल एकादशी तिथि आरंभ: 01 जनवरी, 2022, रविवार, शाम 07 बजकर 11 मिनट से
पौष शुक्ल एकादशी तिथि की समाप्त: 02 जनवरी, सोमवार, रात 08 बजकर 23 मिनट पर
पौष पुत्रदा एकादशी पारण समय: 03 जनवरी, मंगलवार, सुबह 07 बजकर 14 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट के मध्य
पुत्रदा एकादशी के दिन अपनाएं ये उपाय
- अगर आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं तो एकादशी के दिन पीले ताजा फूलों की माला बनाकर भगवान विष्णु को चढ़ाएं। साथ ही भगवान को चंदन का तिलक लगाएं।
- अगर आप अपनी संतान के करियर की बेहतरी सुनिश्चित करना चाहते हैं तो एकादशी के दिन अपने बच्चे के मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं। साथ ही जरूरतमंद को पीला कपड़ा गिफ्ट करें।
- अगर आप अपने सभी कामों में संतान का भरपूर सहयोग पाना चाहते हैं तो पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह स्नान आदि के बाद श्री विष्णु भगवान को प्रणाम करें और आसन बिछाकर बैठ जाएं। फिर भगवान विष्णु के मंत्र का 108 बार जप करें मंत्र है – ‘ऊँ नमो भगवतेनारायणाय’
- पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करें और पूजा के समय विद्या यंत्र की स्थापना करें। पूजा के बाद उस यंत्र को उठाकर अपने बच्चे के पढ़ाई वाले कमरे में स्थापित कर दें या फिर ताबीज में डलवाकर बच्चे के गले में पहना दें।
- पुत्रदा एकादशी की रात एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान कृष्ण के बाल रूप की फोटो रखें और उसके सामने देसी घी का दीपक जलाएं। अब आपको ये मन्त्र पढ़ना है। मंत्र है – ‘ॐ गोविन्दाय गोपालाय यशोदा सुताय स्वाहा’ इस मंत्र का आपको पांच माला, यानी 540 बार जप करना है और जप पूरा होने के बाद भी दीपक को बुझाइये नहीं, उसे जलता छोड़ दीजिए, वह अपने आप बुझ जाएगा।