श्रीलंका: प्रदर्शनकारियों के साथ आज बात करेंगे प्रधानमंत्री राजपक्षे, देश में जारी संकट के समाधान पर लेंगे सुझाव
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) ने देश में जारी आर्थिक संकट को लेकर विरोध करने वाले सभी प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए सहमति दी है। उन्होंने बुधवार को कहा कि देश का प्रधानमंत्री होने के नाते वे देश के आर्थिक व राजनीतिक संकट को लेकर कोलंबो में पांच दिनों से विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करेंगे। श्रीलंकाई प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा है कि वे चर्चा के लिए तैयार हैं। देश में मौजूदा आर्थिक हालात से निपटने के लिए वे प्रदर्शनकारियों का विचार लेंगे। यदि प्रदर्शनकारी इस बातचीत के लिए तैयार हैं तो वे अपनी ओर से बात करने के लिए भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों के बारे में सरकार को सूचित करेंगे। श्रीलंका में 14 अप्रैल को नया साल मनाया जाता है। इसकी पूर्व संध्या पर बुधवार शाम को देश में जारी संकटपूर्ण आर्थिक व राजनीतिक हालात से निपटने के लिए प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे प्रदर्शनकारियों के साथ विचार विमर्श करेंगे।
आजादी के बाद पहली बार श्रीलंका में है इतनी बदहाली
श्रीलंका की आजादी के बाद से पहली बार देश में इतने बदतर हालात हैं। आर्थिक ओर राजनीतिक संकट से जूझ रहे देश में इस वक्त खाने के साथ ही ईंधन और बिजली की भी किल्लत है। नतीजतन देश में प्रभावित लोग सड़क पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद से ही श्रीलंका की इकोनामी बदहाल हो गई क्योंकि कोरोना ने यहां की पर्यटन व्यवस्था को चौपट कर दिया। इसके अलावा यहां फारेन एक्सचेंज की भी कमी है। इससे यहां खाने व ईंधन के आयात की क्षमता पर भी असर हुआ है। इन कमियों की आपूर्ति के लिए श्रीलंका अपने मित्र देशों से सहायता मांग रहा है। देश में बड़े स्तर पर जारी विरोध प्रदर्शन में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से इस्तीफा देने की मांग की जा रही है। इससे पहले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को विशेष संबोधन में देश की जनता से धैर्य रखने का आग्रह किया था और विरोध प्रदर्शन को रोकने की अपील की थी ताकि सरकार हालात को काबू में ले सके।
चीन से कर्ज लेने के बाद श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था हुई चौपट
वैश्विक महामारी के दौरान श्रीलंका की आर्थिक व्यवस्था चीनी कर्जे में चौपट हो गई। पर्यटन पर निर्भर रहने वाले श्रीलंका ने चीन की बीआरआइ (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) के तहत अपने दो प्रमुख बंदरगाहों हंबनटोटा पोर्ट और कोलंबो पोर्ट सिटी को भी बीजिंग के हवाले कर दिया है। बता दें चीन का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण मजबूरी में उसे इन शर्तों का पालन करना पड़ा। संभवत: वर्ष 2021-22 में कोलंबो को बीजिंग को करीब दो अरब डालर चुकाने थे। इसके बाद 1.2 अरब डालर के लिए श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया।