23 November, 2024 (Saturday)

‘जांच अधिकारी घटिया जांच छुपाने को आदिवासियों को हिरासत में ले लेते हैं ‘

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि आजादी के बाद आज भी आदिवासी उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार हैं। जांच अधिकारी अब भी अपनी घटिया जांच को छुपाने के लिए उन्हें हिरासत में ले लेते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ 13वें बीआर. आंबेडकर स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। इसका विषय ‘कॉन्सेप्टुअलाइजि़ंग मार्जिनलाइजेशन : एजेंसी, एसर्शन एंड परसनहुड’ था। इसका आयोजन दिल्ली के भारतीय दलित अध्ययन संस्थान और रोजा लक्जमबर्ग स्टिफ्टुंग, दक्षिण एशिया ने किया था।

शीर्ष अदालत के जज ने कहा कि भले ही एक भेदभावपूर्ण कानून को कोर्ट असंवैधानिक ठहरा दे या संसद उसे निरस्त कर दे, लेकिन भेदभावपूर्ण व्यवहार फौरन नहीं बदलता है। उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासियों सहित हाशिए के समूह के अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक और कानूनी आदेश पर्याप्त नहीं हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ब्रिटिश राज ने आपराधिक जनजाति अधिनियम 1871 बनाया जिसके तहत जनजाति, गिरोह या व्यक्तियों के वर्ग को व्यवस्थित अपराधों के लिए अधिसूचित किया गया था।

उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के लागू होने के बाद, आपराधिक जनजाति अधिनियम को 1949 में निरस्त कर दिया गया और जनजातियों को गैर-अधिसूचित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मौलिक समानता के संवैधानिक आदर्श को आगे बढ़ाने के लिए संविधान भौतिक संसाधनों के पुनर्वितरण को अनिवार्य करता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *