भारत और चीन में सबसे तेजी से बढ़ रहे हार्ट फेल के मामले
भारत और चीन में हार्ट फेल के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे है। भारत और चीन जैसे देशों में वायु प्रदूषण भी कार्डियोवास्कलुर रोग और सांस की बीमारी जैसे रोगों का प्रमुख कारण है। दुनिया भर में हार्ट फेल से होने वाली मौतों के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। अकेले भारत और चीन में विश्व के 46.5 फीसदी नए मामले सामने आए हैं। यह खुलासा यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध में हुआ है। लैंसेट’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के मुताबिक इस्केमिक (आईएचडी) हृदय रोग के दुनियाभर में मामलों का करीब चौथाई हिस्सा अकेले भारत में होता है।
शोध के मुताबिक 2017 में हार्ट फेल के केसों की संख्या 64.3 मिलियन थी जिसमें 29.5 मिलियन पुरुष थे जबकि महिलाओं की संख्या 34.8 मिलियन थी। रिपोर्ट के अनुसार 1990 से 2017 के बीच हार्ट फेल के मामलों में 91.9 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अध्ययन के अनुसार 1990 से 2017 के दौरान हार्ट फेल के मामले करीब-करीब दोगुने हो गए है।
यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार हार्ट फेल के मामले 70 से 74 साल के पुरुषों में अधिक है। वहीं 75-79 साल की महिलाओं में हार्ट फेल के मामले ज्यादा है। प्रमुख बात यह है कि 70 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हार्ट फेल के मामले अधिक है। रिपोर्ट में बड़ी बात यह है कि हार्ट फेल के मामले 1990-2017 के दौरान चीन और भारत में सबसे अधिक बढ़े हैं। चीन में हार्ट फेल के मामले 29.9 फीसद बढ़े है वहीं भारत में 16 फीसद बढ़े है। यानी सीधे तौर पर कहें तो यह एशिया में तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया भर में सबसे अधिक मामले इस्केमिक हार्ट रोग के होते हैं। यह कुल मामलों का 26.5 फीसद होते हैं। जबकि हाइपरसेंसिटिव हार्ट रोग और क्रानिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज कुल मामलों का क्रमश: 26.2 और 23.4 प्रतिशत होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस्केमिक हार्ट रोग, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और एल्कोहलिक कार्डियोपैथी पुरुषों में अधिक होती है जबकि हाइपरसेंसिटिव हार्ट रोग और रयूमेटिक हार्ट रोग महिलाओं में अधिक होते हैं।
मृत्यु के 10 बड़े कारण
डब्ल्यूएचओ ने 2019 में दुनिया में होने वाली मृत्यु के 10 कारणों की रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें दिल का कारण प्रमुख था। दिल की बीमारी, स्ट्रोक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (लंबे समय तक फेफड़ों में रुकावट), श्वसन संक्रमण, नवजात को होने वाली बीमारियां व समस्याएं, श्वासनली, ब्रोन्कस और फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौत, अल्जाइमर और मनोभ्रंश, डायरिया, डायबिटीज और किडनी की बीमारियां।
इस्केमिक हार्ट रोग : इस्केमिक हार्ट रोग ऐसी स्थिति है जो दिल में रक्त की आपूर्ति को प्रभावित करती है। रक्त वाहिकाओं को उनकी दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण संकुचित या अवरुद्ध कर दिया जाता है। इससे हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है, जो दिल की उचित कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है। इसकी वजह से अचानक रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है , जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ता है।
लैसेंट की रिपोर्ट में ये आया था सामने
लैंसेट’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के मुताबिक इस्केमिक (आईएचडी) हृदय रोग के दुनियाभर में मामलों का करीब चौथाई हिस्सा अकेले भारत में होता है। दिल में खून की कम आपूर्ति इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है। इस्केमिक हृदय रोग भारतीय मरीजों में हार्ट फेलियर का मुख्य कारण है।