23 November, 2024 (Saturday)

अगले दो साल में देश के सभी सरकारी स्कूल होंगे हाईटेक, इंटरनेट व वाइफाई जैसी सुविधाओं से किया जाएगा लैस

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाने का जो सपना देखा गया है, अब उस पर अमल शुरू हो गया है। इसके तहत अगले दो साल में देश भर के सभी स्कूलों को हाईटेक बनाने का योजना बनाई गई है। सभी सरकारी स्कूलों को इंटरनेट और वाई- फाई जैसे सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इन स्कूलों की सभी कक्षाओं को स्मार्ट क्लास में तब्दील किया जाएगा। मौजूदा समय में देश में कुल स्कूलों की संख्या करीब 15 लाख है, इनमें करीब 11 लाख सरकारी स्कूल है।

नई शिक्षा नीति के तहत आनलाइन पढ़ाई को विस्तार देने की योजना

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक स्कूलों के हाईटेक होने से स्कूली बच्चों को आसानी से गुणवत्तापूर्ण आनलाइन शिक्षा मुहैया कराई जा सकेगी। साथ ही इन्हें स्किल, डाटा साइंस और कोडिंग जैसी विधाओं से लैस किया जा सकेगा। कोरोना संकट के दौरान जो स्थितियां निर्मित हुई है, उनमें आनलाइन शिक्षा एक अहम जरूरत बन गई है। यही वजह है कि मंत्रालय ने आगे भी आनलाइन शिक्षा जारी रखने का फैसला लिया है। इसके तहत स्कूलों में अब मिश्रित (आफलाइन व आनलाइन) माध्यम में पढ़ाई होगी। इसे लेकर एनसीईआरटी से तैयार किए जा रहे स्कूली पाठ्यक्रम को नए सिरे से डिजाइन करने को कहा गया है।

शिक्ष मंत्रालय और संचार मंत्रालय की हुई मीटिंग

खास बात यह है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी यह सिफारिश की गई थी कि जब तक आनलाइन शिक्षा को अनुभवात्मक और गतिविधि आधारित शिक्षा के साथ मिश्रित नहीं किया जाता, तब तक यह सीखने के अलग आयामों पर सीमित फोकस करने वाली एक स्क्रीन आधारित शिक्षा मात्र ही बन जाएगी। शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक स्कूलों को इंटरनेट और वाई-फाई जैसी सुविधाओं से जोड़ने के लिए संचार मंत्रालय के साथ मीटिंग भी की गई है। राज्यों को भी इसे लेकर जरूरी तैयारी करने को कहा गया है। फिलहाल इसके जरिए मंत्रालय स्कूली बच्चों को स्किल, डाटा साइंस और कोडिंग जैसे विषयों से भी जोड़ना चाहता है।

देश में अभी सिर्फ 22 फीसद स्कूल ही इंटरनेट से लैस

वैसे अभी स्कूलों के पास इन विषयों को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक नहीं है। ऐसे में आनलाइन शिक्षा के जरिए वह कम समय में ही बच्चों को इस नई विधा से जोड़ना चाहती है। स्कूलों को आनलाइन शिक्षा से सदैव के लिए लैस करने को लेकर मंत्रालय इसलिए भी उत्साहित है, क्योंकि कोरोना संकट के दौरान वह इस विकल्प को सफलता के साथ आजमा चुका है। ऐसे में भावी संकटों से निपटने के लिए इस विकल्प को रखना चाहता है। गौरतलब है कि एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यूडीआइएसई) प्लस की वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट के तहत देश में अभी सिर्फ 22 फीसद स्कूल ही इंटरनेट से लैस हैं। वहीं 83 फीसद स्कूलों में बिजली है। हांलाकि इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया था, कि पिछले सालों में इन दोनों मामलों में सुधार हुआ है।

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