बच्चा तस्करी गिरोह के सरगना की तलाश, दिल्ली पुलिस को दी जानकारी, चार आरोपी भेजे जेल
पश्चिम बंगाल और बिहार से आने वाली ट्रेनों से बच्चों की तस्करी हो रही है, इन बच्चों से बंधुआ मजदूरी कराने के लिए इनको दिल्ली ले जाया जा रहा था। बीते रविवार के बाद मंगलवार को भी ट्रेनों से बच्चे बरामद हुए हैं। इस गिरोह को जड़ से खत्म करने के लिए स्थानीय जीआरपी-आरपीएफ ने दिल्ली पुलिस को पूरे मामले से अवगत कराया है। वहां की पुलिस ने अलीगढ़ के इनपुट के आधार काम शुरू कर दिया है। जल्द ही बच्चा तस्करी का पूरा गिरोह पुलिस की पकड़ में होगा।
रविवार को आठ और मंगलवार को 15 मिलाकर अब तक कुल 23 बच्चे मुक्त कराए जा चुके हैं। मंगलवार देर शाम नार्थ-ईस्ट एक्सप्रेस से बरामद हुए 15 बच्चों में से सात को 18 वर्ष से अधिक होने पर छोड़ दिया गया, जबकि आठ बच्चों को सेवियो बाल जीवन होम भेजा गया है। इससे पहले रविवार को बरामद हुए आठ बच्चों में तीन को उनके अभिभावकों के सुपुर्द कर दिया गया है। पांच बच्चों के अभिभावकों के आने का इंतजार हो रहा है। इस मामले में पकड़े गए चार आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
रेलवे स्टेशन पर बीते मंगलवार की शाम को नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस के कोच संख्या एस-3, एस-4, एस-7, व डी-1 व डी-2 में तस्करी कर ले जाये जा रहे कई बच्चे पकड़े गए थे। तस्कर इन बच्चों को बिहार व बंगाल से बंधुआ मजदूरी के वास्ते दिल्ली ले जा रहे थे। बचपन बचाओ संस्था की ओर से इसकी खबर मिलते ही जीआरपी इंस्पेक्टर अब्दुल मोईज व आरपीएफ इंस्पेक्टर चमन सिंह तोमर, चाइल्ड लाइन के डॉ. ज्ञानेंद्र मिश्रा की टीम ने उक्त ट्रेन से 15 बच्चों को उतारा था। तस्करी के शक में 15 संदिग्ध भी पकड़े गए थे। पूछताछ के बाद चार लोग ऐसे मिले, जो बच्चों को लेकर दिल्ली जा रहे थे। इसमें बिहार के कटिहार जिले के थाना वारसोई सरलपुर निवासी शंभू शर्मा, कटिहार के थाना कदुवा तैय्यबपुर निवासी तौहीद, थाना आजम नगर-खुड़िया निवासी नसीम अख्तर व बिहार के पूर्णिया जिले के थाना आमौर क्षेत्र के मैनापुर निवासी निजाम अंसारी शामिल हैं। शंभू के साथ चार बच्चे, तौहीर के साथ दो, नसीम व निजाम के साथ एक-एक बच्चा सफर कर रहा था। बाकी सात को अलग अलग बैठाया गया था।
मंगलवार को ट्रेन से बरामद हुए इन 15 बच्चों में से सात की उम्र 18 वर्ष और उससे अधिक थी, जिन्हें छोड़ दिया गया। आठ बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने के बाद तालानगरी स्थित सेवियो शेल्टर होम भेजा गया है। इसमें सात बच्चे कटिहार व एक पूर्णिया जिले का निवासी है। जीआरपी इंस्पेक्टर अब्दुल मोईज ने बताया कि इन चार आरोपियों को इन बच्चों को बिहार से दिल्ली तक ले जाने की जिम्मेदारी दी गई थी। दिल्ली में बच्चों को किसके सुर्पुद करना है, आरोपी ये भी नहीं बता सके, लेकिन ये जरूर तय है कि इन बच्चों को दुकानों, ढ़ाबों, होटलों और कारखाने आदि पर बालश्रम कराने को ले जाया जा रहा था। जहां इनको बंधक बनाकर इनसे काम लिया जाता। इस गिरोह के मास्टर माइंड व अन्य साथियों की तलाश में दिल्ली व बिहार की पुलिस से संपर्क किया गया है। वहां की पुलिस इनके बारे में जानकारी कर रही है। वहां की पुलिस की जानकारी सामने आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
बंगाल और बिहार की ट्रेनों में सफर करने वाले बच्चों पर नजर
बिहार व पश्विम बंगाल से आने वाली ट्रेनों पर आरपीएफ व जीआरपी ने सुरक्षा और चौकसी बढ़ा दी है। इन ट्रेनों में अकेले या संदिग्ध परिस्थितियों में किसी अंजान व्यक्ति के साथ सफर करने वाले बच्चों पर खास नजर रखी जा रही है। इन ट्रेनों में सघन जांच पड़ताल के लिए संयुक्त टीमें गठित कर दी गई हैं। इन टीमों में तीन तीन सिपाहियों और पुलिस कर्मियों को लगाया गया है। बीते दो दिनों में ही नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस में तस्करी कर ले जाए जा रहे 23 बच्चों के पकड़े जाने के बाद ये सख्ती बढ़ाई गई है। आरपीएफ इंस्पेक्टर सीएस तोमर व जीआरपी इंस्पेक्टर अब्दुल मोईज ने बताया कि बाल श्रम के लिए तस्करी कर ले जाये जा रहे 23 बच्चों को मुक्त कराया गया है। आठ तस्करों को पकड़कर जेल भी भेजा जा चुका है।