Mukhtar Ansari News: जानें- कौन है मुख्तार अंसारी, अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वालों की फेहरिस्त में अहम नाम
उत्तर प्रदेश की सियासत ने देश को एक से बढ़कर एक दिग्गज नेता दिए हैं। प्रदेश की इस सियासी जमीन का सबसे उपजाऊ गढ़ पूर्वांचल माना जाता है, लेकिन इसी पूर्वांचल का एक स्याह सच भी है, वह है अपराध और राजनीति का गठजोड़। इसी गठजोड़ की बदौलत पूर्वांचल के कई माफिया ने विधानसभा से लेकर संसद तक का सफर तय किया। अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वालों की फेहरिस्त में एक अहम नाम है मुख्तार अंसारी।
बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में हुआ था। राजनीति मुख्तार अंसारी को विरासत में मिली। उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, जबकि उनके पिता एक कम्युनिस्ट नेता थे। देश के पिछले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं। कॉलेज में ही पढ़ाई में ठीक मुख्तार ने अपने लिए अलग राह चुनी। 1970 का वो दौर जब पूर्वांचल के विकास के लिए सरकार ने योजनाएं शुरू की। 90 का दशक आते-आते मुख्तार ने जमीन कब्जाने के लिए अपना गैंग शुरू कर लिया। उनके सामने सबसे बड़े दुश्मन की तरह खड़े थे बृजेश सिंह। यहीं से मुख्तार और बृजेश के बीच गैंगवार शुरू हुई।
गली के गुंडे की तरह शुरू हुआ आपराधिक सफर : अपने विरोधियों को दिनदहाड़े गैंगवार में मरवा कर पूर्वांचल में दशकों से दहशत का पर्याय बने मऊ से बहुजन समाज पार्टी के विधायक मुख्तार अंसारी के जरायम का सफर गली के गुंडे की तरह शुरू हुआ था। मोहल्ले और क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने की शुरुआत उसने सिनेमाघर के बाहर टिकटें ब्लैक करने से ही की थी। अपने बड़े भाई को वहीं साइकिल स्टैंड का ठेका दिलाकर लोगों पर धौंस जमाने वाला मुख्तार अंसारी धीरे-धीरे बराह- जरायम रेलवे, कोयला रैक, स्क्रैप, मोबाइल टावरों पर डीजल आपूर्ति, मछली व्यवसाय, पुल, सड़क, नाले-नाली तक के व्यावसायिक ठेकों पर अपने लोगों को काबिज कराता गया। दहशत का आलम यह कि पूर्वांचल में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का ठेका लेने से देसी-विदेशी कंपनियों ने भी किनारा कर लिया।
क्रिकेट का अच्छा खिलाड़ी रहा है मुख्तार : क्रिकेट का अच्छा खिलाड़ी रहा मुख्तार अंसारी जमींदार घराने का भले ही रहा, मगर पैसों और वर्चस्व के लिए उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। छात्र जीवन में ही इसे साथ मिल गया साधु सिंह और मकनू सिंह जैसे कुख्यात अपराधियों का, जिन्हें इसने अपना आपराधिक गुरु माना।
हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय की हत्या में आया था पहली बार नाम : मुहम्मदाबाद गोहना क्षेत्र के हरिहरपुर गांव के सच्चिदानंद राय दबंग छवि के थे। क्षेत्र की राजनीति में भी उनका दखल था। इधर नगर पालिका के चेयरमैन रह चुके कम्युनिस्ट नेता मुख्तार अंसारी के वालिद सुभानुल्लाह अंसारी के राजनीतिक विरोधी भी थे। पिता के बाद बड़े भाई अफजाल की सियासी राह में सच्चिदानंद राय बड़े रोड़ा थे। वर्ष 1988 में उनकी दिनदहाड़े निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई। हत्या में पहली बार अंसारी बंधुओं का नाम सामने आया। सच्चिदानंद राय की हत्या ने इनके आपराधिक वर्चस्व की शुरुआत कर दी। फिर तो साधु सिंह, मकनू सिंह के गिरोह में शामिल हुए मुख्तार के नाम एक से बढ़कर एक बड़े गैंगवार, हत्या, फिरौती, रंगदारी की वारदातों का सिलसिला चल पड़ा।
कई बार लाल हुई पूर्वांचल की धरती : त्रिभुवन सिंह और बृजेश सिंह के गिरोह से मुख्तार अंसारी की टकराहट में पूर्वांचल की धरती कई बार लाल हुई। मऊ दंगा, भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या के बाद इसके दहशत की गूंज देश ने सुनी, मगर तत्कालीन सरकारों की वोट बैंक की राजनीति के चलते इसे मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण ने जेल में भी इसे ठाट की जिंदगी मुहैया कराई और वहीं से गिरोह का संचालन करता रहा।
मुख्तार अंसारी पर 52 मुकदमे दर्ज : पूरे देश में मजबूत आपराधिक नेटवर्क वाले इस गैंगस्टर ने अपने हर काम को बड़ी ही सफाई से अंजाम दिया और सजा से बचता रहा। रासुका, मकोका, गैंगस्टर, गुंडा एक्ट जैसे में कानूनों में पाबंद रह चुके मुख्तार अंसारी पर 52 मुकदमे दर्ज हैं। इतने मुकदमे सिर पर लिए यह नेता 14 साल से जेल में बंद है, लेकिन पूर्वांचल की राजनति में इसका सिक्का लगातार कायम है। चाहे भाई अफजाल की सियासी पारी हो या बेटे का सियासत में पहला कदम, दोनों को जो भी जीत मिली, उसमें मुख्तार का ही योगदान माना जाता है। मुख्तार अंसारी पर आरोप था कि उसने 2005 में जेल में रहते हुए कृष्णानंद राय की हत्या की साजिश रची थी।