चीन के कर्ज जाल में फंसने से बढ़ी श्रीलंका की बदहाली, भारत सालों से दे रहा था चेतावनी
श्रीलंका इस समय बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। वहां के लोग सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं हालात को संभालने के लिए सरकार के पास कोई पुख्ता उपाय नहीं है। इस बीच भारत सरकार ने खाद्य पदार्थ समेत अनेक आवश्यक वस्तुएं मदद के रूप में श्रीलंका को उपलब्ध कराई हैं। इसमें हैरानी की एक बात यह है कि ‘वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स’ में श्रीलंका भारत से ऊपर है। श्रीलंका की रैंक 129 है, जबकि भारत की 136, यानी श्रीलंका के लोग भारतीयों के मुकाबले ज्यादा खुश हैं।
श्रीलंका के मौजूदा हालातों को देखते हुए यह एक विरोधाभासी तथ्य ही है। वर्ष 1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका की आर्थिक दशा इतनी बदहाल कभी नहीं रही। सरकारी खजाना लगभग खाली हो चुका है तथा वह विदेशी कर्जे के बोझ से दबता जा रहा है। उसे अपनी जरूरत का ज्यादातर सामान आयात करना पड़ता है, जिसके लिए विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होना चाहिए। लेकिन 2019 के बाद श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता गया। इससे श्रीलंका की आयात करने की शक्ति कम हुई। श्रीलंका का आयात का बिल बढ़ता गया और निर्यात घटता गया। इसमें महामारी भी एक बड़ा कारण है। श्रीलंका की जीडीपी में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी पर्यटन से आती है। पर्यटन से विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होता है। कोरोना की वजह से यह सेक्टर ठप हो गया, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई। श्रीलंका पर विदेशी कर्ज बढ़ा।
हमारे पूर्वज कह गए हैं कि कर्ज लेकर घी पीना एक दिन भारी पड़ सकता है और यही स्थिति अब श्रीलंका में दिखाई दे रही है। दरअसल, भारत पिछले कई वर्षों से श्रीलंका को चेतावनी दे रहा था कि चीन पर इतनी निर्भरता उसके लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है और आखिर में वही हुआ। अब श्रीलंका को अपनी गलती का अहसास हो रहा है और वह भारत से मदद मांग रहा है। भारत ने भी वहां बिगड़ते हालातों को देखते हुए उसे बचाने के लिए कमर कस ली है। भारत ने कुछ ऐसे बड़े कदम उठाए हैं, जिससे श्रीलंका को चीन के चंगुल से बचाया जा सके।
इस समय भारत में श्रीलंका के लिए दो चुनौतियां सबसे बड़ी हैं। पहली यह कि श्रीलंका में चीन के विस्तार को रोका जाए और दूसरी यह कि श्रीलंका की बर्बाद हो चुकी अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द पटरी पर वापस लाया जा सके। भारत ने इन दोनों चुनौतियों से निपटने के लिए काम शुरू भी कर दिया है। भारत सरकार ने श्रीलंका में रणनीतिक निवेश बढ़ा दिया है और अपनी कूटनीति के जरिए श्रीलंका में कई बड़े प्रोजेक्ट अपने नाम कर लिए हैं। ये प्रोजेक्ट पहले चीन को मिलने वाले थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हाइब्रिड पावर प्रोजेक्ट, जो पहले चीन को मिलने वाला था, लेकिन अब वह भारत को मिल चुका है। इसके अलावा भारत श्रीलंका में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक पोर्ट सिटी का निर्माण भी कर रहा है। श्रीलंका में भारत निर्माण, संचार और पेट्रोलियम जैसे क्षेत्रों में भी निवेश कर रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि इससे वहां की आर्थिक दशा में सुधार होगा।